Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jun 2019 · 2 min read

बर्थडे सेलीब्रेशन

‘टाफियों के पैकेटों को छोड़ कृपा कर इन सभी उपहारों को वापिस ले जायें’ अध्यापिका ने अत्यन्त विनम्रता से उस धनाढ्य पिता से कहा था जो अपने बेटे के जन्म-दिवस पर उसकी कक्षा के सम्पूर्ण विद्यार्थियों के लिए महंगे से महंगे उपहार बांटने आया था।

‘मगर क्यों, मैं तो सिर्फ बांट ही रहा हूं’ पिता बोला।

‘आपने बिल्कुल ठीक कहा, आप बांट ही रहे हैं। आप बांट रहें हैं विद्यार्थियों के बीच के अनूठे रिश्ते के ताने-बाने को, आप बांट रहे हैं उस सोच को जो इनके जीवन को न जाने कितने हिस्सों में बांट देगी। आप बांट रहे हैं अपने अहम को जो बाकी विद्यार्थियों को आहत कर देगा। आप बांट रहे हैं अपने घमण्ड को जो आपके बेटे और कक्षा के अन्य विद्यार्थियों में अमीरी-गरीबी की खाई पैदा कर देगा। आप बांट रहे हैं उस सोच को जो उन विद्यार्थियों को तनावग्रस्त कर देगी जब उनका जन्म दिन आयेगा और वे अपने मां-बाप से स्कूल में क्या लेकर जायें इस बात पर बहस करने वाले बन जायेंगे। आप बांट रहे हैं एक ऐसी प्रथा को जिसमें अनेक बच्चे अपना जन्म दिवस ही भुला देना चाहेंगे। महोदय, आप मेरी बात को अन्यथा न लें। मैं एक शिक्षिका हूं और मुझे इस देश की उस भावी पीढ़ी को तैयार करना है जिनमें आपस में कोई दरार न हो, कोई खाई न हो…. शिक्षिका कहती जा रही थी और पिता अपने उस फैसले पर गर्व कर रहे थे जिसके अन्तर्गत उन्होंने अपने बेटे को इस स्कूल में पढ़ने भेजा था।

शिक्षिका को हाथ जोड़ते हुए उन्होंने अपने नौकर को इशारा किया जो पल भर में वह कीमती उपहार लेकर वापिस चला गया। ‘आज मैं आपकी उस कक्षा का विद्यार्थी हो गया हूं जो मैं जीवन में कभी गया ही नहीं, देवी, मेरी भूल क्षमा करें’ कहते हुए पिता का मन हलका हो गया था।

Language: Hindi
404 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*जिंदगी के युद्ध में, मत हार जाना चाहिए (गीतिका)*
*जिंदगी के युद्ध में, मत हार जाना चाहिए (गीतिका)*
Ravi Prakash
हमें सलीका न आया।
हमें सलीका न आया।
Taj Mohammad
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
2438.पूर्णिका
2438.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
■ अधूरी बात सुनी थी ना...? अब पूरी पढ़ और समझ भी लें अच्छे से
■ अधूरी बात सुनी थी ना...? अब पूरी पढ़ और समझ भी लें अच्छे से
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
// अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद //
// अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ख़ुद के होते हुए भी
ख़ुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
जिन्दगी कभी नाराज होती है,
जिन्दगी कभी नाराज होती है,
Ragini Kumari
नहीं, अब ऐसा नहीं हो सकता
नहीं, अब ऐसा नहीं हो सकता
gurudeenverma198
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
Phool gufran
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
Buddha Prakash
सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती,
सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती,
Anil "Aadarsh"
माॅर्डन आशिक
माॅर्डन आशिक
Kanchan Khanna
वंदेमातरम
वंदेमातरम
Bodhisatva kastooriya
विश्वास किसी पर इतना करो
विश्वास किसी पर इतना करो
नेताम आर सी
अधरों पर शतदल खिले, रुख़ पर खिले गुलाब।
अधरों पर शतदल खिले, रुख़ पर खिले गुलाब।
डॉ.सीमा अग्रवाल
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
आर्या कंपटीशन कोचिंग क्लासेज केदलीपुर ईरनी रोड ठेकमा आजमगढ़
आर्या कंपटीशन कोचिंग क्लासेज केदलीपुर ईरनी रोड ठेकमा आजमगढ़
Rj Anand Prajapati
तू है एक कविता जैसी
तू है एक कविता जैसी
Amit Pathak
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
मूल्य मंत्र
मूल्य मंत्र
ओंकार मिश्र
सृष्टि की उत्पत्ति
सृष्टि की उत्पत्ति
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
........,
........,
शेखर सिंह
Are you strong enough to cry?
Are you strong enough to cry?
पूर्वार्थ
*मर्यादा पुरूषोत्तम राम*
*मर्यादा पुरूषोत्तम राम*
Shashi kala vyas
मेरा एक छोटा सा सपना है ।
मेरा एक छोटा सा सपना है ।
PRATIK JANGID
गीता जयंती
गीता जयंती
Satish Srijan
ईर्ष्या
ईर्ष्या
Dr. Kishan tandon kranti
फर्श पर हम चलते हैं
फर्श पर हम चलते हैं
Neeraj Agarwal
Loading...