Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2021 · 2 min read

बर्थडे गिफ्ट

मैं हमेशा से ही अपने बर्थडे पर बड़ी उत्साहित रहती आई हूं और कोशिश करती हूं कि यह दिन अच्छे से मन जाये।
यह उन दिनों की बात है जब स्कूल से कॉलेज में प्रवेश पाया था। ग्यारहवीं कक्षा में बचपना तो ज्यों का त्यों बरकरार था। कॉलेज में जाकर तो एक नया माहौल और नई सहेलियां भी बनी। जिस दिन मेरा बर्थडे था मैंने सोचा क्यों न अपने नये पुराने दोस्तों को आज शाम अपने घर एक भव्य पार्टी का आयोजन करके उसमें आमंत्रित किया जाये।
बस फिर क्या था सबको समय से सूचित कर दिया गया और सब सजधजकर शाम को पधारे भी। मेरी एक सहेली नीति जब आई तो सबका ध्यान उसने अपनी तरफ आकर्षित किया। कारण था उसके हाथ में जो मेरा बर्थडे गिफ्ट था वह साइज में शायद कुछ जरूरत से ज्यादा ही बड़ा था। उसके कद को भी पार ही कर रहा था। मुझे और मेरे परिवार को बड़ी उत्सुकता हो रही थी कि पकड़ने पर तो यह हल्का फुल्का लग रहा था तो आखिर इसमें है क्या।
पार्टी पूरे जोरों शोरों से सम्पन्न हो गई। जब सब विदा हो गये तो सबसे पहले सब उस गिफ्ट की तरफ लपके कि इसे खोलकर तो देखें कि आखिर यह बला है क्या। मैंने कहा, ‘सब पीछे हट जाओ। मुझे गिफ्ट खोलने की जगह दो।’ सबको थोड़ा पीछे हटाकर मैंने उसे जमीन पर रखकर खोलना शुरू किया। ऊपर का फूलों वाला पैकिंग पेपर हटाया तो उसके नीचे वह अखबार के कागज से लिपटा था। मैंने फिर उसे हटाया तो एक दूसरे अखबार के कागज से लिपटा था। फिर क्या था तीसरा, चौथा, पांचवा, छठा, सातवां, आठवां, नौवां, दसवां… मैं एक के नीचे एक आते हुए अखबार के कागजों को हटाती जा रही थी लेकिन कोई गिफ्ट निकलकर नहीं दे रहा था। कमरे में चारों तरफ कागजों का ढेर लग गया था। सबकी उत्सुकता अब मायूसी में बदलती जा रही थी। एक तो पार्टी की थकान के बाद इस कसरत ने थका दिया था। हम सबने तो यह सोचा कि भई बहुत थक गये। अब छोड़ो यह सब करना। थोड़ी देर के बाद फिर वही सब करना शुरू किया। आखिरकार एक छोटा सा गत्ते का डिब्बा निकला। अब उसपर से भी टेप वगैरह हटाकर बमुश्किल खोला तो उसमें से एक निप्पल निकली। बच्चों के दूध की बोतल की निप्पल। कुछ देर तो सब खामोश रहे फिर कोई हंसने लगा। कोई तरह तरह के मजाक और टिप्पणियां करने लगा। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ का मुहावरा आज के इस जन्मदिन के एपिसोड के लिये ही बना था। मेरी स्थिति ऐसी थी न हंसने की न रोने लायक। थोड़ी देर बाद मैंने पर सोचा कि आज मेरे बर्थडे पर यही गिफ्ट तो मुझे मिलना चाहिए था। ठीक तो है आज के दिन मैं पैदा हुई थी तो बच्चे को दूध पिलाने के लिए इससे उपयुक्त गिफ्ट दूसरा भला कौन सा हो सकता था।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

4 Likes · 5 Comments · 374 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
Rituraj shivem verma
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
बिछड़ के नींद से आँखों में बस जलन होगी।
बिछड़ के नींद से आँखों में बस जलन होगी।
Prashant mishra (प्रशान्त मिश्रा मन)
❤इस दिल में अरमान बहुत है 💙
❤इस दिल में अरमान बहुत है 💙
Dr.Khedu Bharti
चुनावी साल में समस्त
चुनावी साल में समस्त
*Author प्रणय प्रभात*
ना समझ आया
ना समझ आया
Dinesh Kumar Gangwar
राम से बड़ा राम का नाम
राम से बड़ा राम का नाम
Anil chobisa
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शायरी
शायरी
goutam shaw
রাধা মানে ভালোবাসা
রাধা মানে ভালোবাসা
Arghyadeep Chakraborty
कब बोला था / मुसाफ़िर बैठा
कब बोला था / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
प्रेम एक्सप्रेस
प्रेम एक्सप्रेस
Rahul Singh
तू तो होगी नहीं....!!!
तू तो होगी नहीं....!!!
Kanchan Khanna
तलाश
तलाश
Vandna Thakur
आज का महाभारत 2
आज का महाभारत 2
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
विकास शुक्ल
दीवानी कान्हा की
दीवानी कान्हा की
rajesh Purohit
कश्ती औऱ जीवन
कश्ती औऱ जीवन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
আজ চারপাশ টা কেমন নিরব হয়ে আছে
আজ চারপাশ টা কেমন নিরব হয়ে আছে
Sukoon
वो कड़वी हक़ीक़त
वो कड़वी हक़ीक़त
पूर्वार्थ
बच कर रहता था मैं निगाहों से
बच कर रहता था मैं निगाहों से
Shakil Alam
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
Dr Manju Saini
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यूॅं बचा कर रख लिया है,
यूॅं बचा कर रख लिया है,
Rashmi Sanjay
इन आँखों को भी अब हकीम की जरूरत है..
इन आँखों को भी अब हकीम की जरूरत है..
Tarun Garg
*संस्मरण*
*संस्मरण*
Ravi Prakash
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिंदगी की सांसे
जिंदगी की सांसे
Harminder Kaur
Loading...