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28 May 2021 · 1 min read

बरसात

मनहरण घनाक्षरी

नीर के जो बूंद संग गिर रहे प्रेम रंग,
फूल फुलवारी को झुमाया बरसात है।

बंजर धरा भी होती हरियाली दिख रही,
पोखरों में कमल खिलाया बरसात है।

वन वन नाच रहे, मोर मरोनी के संग,
चंग प्रीत का उमंग लाया बरसात है।

मधुर मधुर गान कोयलियां गा रही हैं,
आ जा री सजनियाँ बुलाया बरसात है।

©®दीपक झा रुद्रा

3 Likes · 4 Comments · 260 Views
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