बयार तो मिले
गिरवी रखीं हैं साँसे ,कुछ उधार तो मिले।
जिंदगी की बस हल्की सी ,फुहार तो मिले।
जिंदगी की डोर बंध गयी है अब सिलिंडर से,
मरीज को उसके हिस्से की बयार तो मिले।
– सिद्धार्थ पाण्डेय
गिरवी रखीं हैं साँसे ,कुछ उधार तो मिले।
जिंदगी की बस हल्की सी ,फुहार तो मिले।
जिंदगी की डोर बंध गयी है अब सिलिंडर से,
मरीज को उसके हिस्से की बयार तो मिले।
– सिद्धार्थ पाण्डेय