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9 Jan 2021 · 1 min read

बन्धन

छीन न लो तुम किसी के,अधर सजीमुस्कान
पता नहीं आ कोन कब, दे दे अपनी जान

तीर चला कर नजर का ,किया प्रिये ने घाव
वजूद अपना भुला कर , खेला है जो दांव

बना यार जो हमारा , लेकर मेरा चैन
इधर उधर जो दिखे नहि , सदा बसे जो नैन

ऐसे साधन रचे प्रभु , लगा रहे जो पार
मीत सनेही साथ हो , झनके मन के तार

भटक भटक द्वार पर , करे ईश की खोज
मिले चैन तब पथिक को,पाये प्रभु की मौज

भटके ऋषि मुनि खोज में, पा लेने को चाह
पतंगे जैसे जले जो , मिले नहीं जब थाह

बूँद बूँद से भरे घट , ऐसी बन्धन रीत
प्रीत फले नहि बंधन बिन, सुन ले मेरे मीत

Language: Hindi
74 Likes · 1 Comment · 404 Views
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