Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Aug 2017 · 1 min read

बद

बद-वाक् और बद-भाव
बदतर मनुष्य का आविर्भाव,
बदतर खान-पान और पोशाक
बदतर बना जाति का चिह्न-स्वभाव;
बदतर भाषा और संस्कृति
बदतर घी से जलती दीए की बाती,
बदतर पानी से वे प्यास बुझाते
बदतर कार्य करते दिन-रात्री;
बद-नजर दौड़ाते हर तरफ
बदतर सबको वे समझते,
बदमाशों के संग रहकर आज
बदतर कमाई चुटकी में करते;
बदतर न्याय और बदतर प्रेम
बदतर भक्ति और देश सेवा,
बदतर राजा और बदतर प्रजा
बदतर समाज और व्यवस्था;
बदतर करनेवाले निंदक भी
बदकारों के पीछे दौड़ लगाते,
बदनाम-सा सम्मान पाने के लिए
बदकारों का अत्याचार हँसकर सहते;
बद!तुम महान हो आज
बद!कर्म करते रहो रावण सदृश,
बदकारों के लिए फिर जन्मेंगे राम
जो दिखाएंगे अब सटीक दिशा ।

Language: Hindi
1 Comment · 319 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
घूर
घूर
Dr MusafiR BaithA
** चीड़ के प्रसून **
** चीड़ के प्रसून **
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
गुज़ारिश आसमां से है
गुज़ारिश आसमां से है
Sangeeta Beniwal
*विनती है यह राम जी : कुछ दोहे*
*विनती है यह राम जी : कुछ दोहे*
Ravi Prakash
डिजिटल भारत
डिजिटल भारत
Satish Srijan
किस तरह से गुज़र पाएँगी
किस तरह से गुज़र पाएँगी
हिमांशु Kulshrestha
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
vah kaun hai?
vah kaun hai?
ASHISH KUMAR SINGH
रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है - ये सिर्फ किस्से हैं
रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है - ये सिर्फ किस्से हैं
Atul "Krishn"
जिंदगी
जिंदगी
Bodhisatva kastooriya
विरही
विरही
लक्ष्मी सिंह
पंक्षी पिंजरों में पहुँच, दिखते अधिक प्रसन्न ।
पंक्षी पिंजरों में पहुँच, दिखते अधिक प्रसन्न ।
Arvind trivedi
मौन तपधारी तपाधिन सा लगता है।
मौन तपधारी तपाधिन सा लगता है।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
शेखर सिंह
जिसकी तस्दीक चाँद करता है
जिसकी तस्दीक चाँद करता है
Shweta Soni
मेरे बुद्ध महान !
मेरे बुद्ध महान !
मनोज कर्ण
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
Sampada
यहाँ तो मात -पिता
यहाँ तो मात -पिता
DrLakshman Jha Parimal
अगर एक बार तुम आ जाते
अगर एक बार तुम आ जाते
Ram Krishan Rastogi
याद आते हैं
याद आते हैं
Chunnu Lal Gupta
All your thoughts and
All your thoughts and
Dhriti Mishra
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
Rj Anand Prajapati
संवेदना मर रही
संवेदना मर रही
Ritu Asooja
मुझमें एक जन सेवक है,
मुझमें एक जन सेवक है,
Punam Pande
यशोधरा के प्रश्न गौतम बुद्ध से
यशोधरा के प्रश्न गौतम बुद्ध से
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
💐प्रेम कौतुक-458💐
💐प्रेम कौतुक-458💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
#दुर्दिन_हैं_सन्निकट_तुम्हारे
#दुर्दिन_हैं_सन्निकट_तुम्हारे
संजीव शुक्ल 'सचिन'
भेद नहीं ये प्रकृति करती
भेद नहीं ये प्रकृति करती
Buddha Prakash
रोजी रोटी के क्या दाने
रोजी रोटी के क्या दाने
AJAY AMITABH SUMAN
Loading...