Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jul 2018 · 3 min read

बद-गुमानी पर शा’इरों के उम्दा अश’आर

संकलनकर्ता: महावीर उत्तरांचली

(1.)
आपस में हुई जो बद-गुमानी
मुश्किल है निबाह दोस्ती का
—हफ़ीज़ जौनपुरी

(2.)
प्यार में ज़ालिम मुझे ऐसी निशानी दे गया
मेरे हिस्से की महज इक बद-गुमानी दे गया
—रमेश प्रसून

(3.)
तुम रहे पाक-साफ़ दिल हर दम
मैं रहा सिर्फ़ बद-गुमानी में
—महावीर उत्तरांचली

(4.)
मैं अपने दिल पे रख लेता हूँ तोहमत बद-गुमानी की
अगर तेरी तरफ़ से बे-रुख़ी महसूस करता हूँ
—ऐश बर्नी

(5.)
थे ऐसी बद-गुमानी में नहीं एहसास हो पाया
हमारी ही कहानी से निकाले जा चुके थे हम
—सचिन शालिनी

(6.)
वही शख़्स ला-उबाली हुआ मुंकिर-ए-हक़ीक़त
जिसे चिलमनों की साज़िश से मिली थी बद-गुमानी
—वफ़ा बराही

(7.)
एक पल में उठ गए पर्दे कई असरार से
वो न होता जो ज़रा सी बद-गुमानी से हुआ
—मुस्तफ़ा शहाब

(8.)
‘कमाल’ मैं ने तो दर से दिए उठाए नहीं
उठाई उस ने ही दीवार बद-गुमानी की
—अब्दुल्लाह कमाल

(9.)
दम-ब-दम यूँ जो बद-गुमानी है
कुछ तो आशिक़ की तुझ को चाह पड़ी
—मीर असर

(10.)
बद-गुमानी का दौर है ‘आबिद’
भाई है बद-गुमान भाई से
—आबिद वदूद

(11.)
जिस की उल्फ़त में दिल धड़कता है
अब तलक उस की बद-गुमानी है
—फ्रांस गॉड्लिब क्वीन फ़्रेस्को

(12.)
साज़-ए-उल्फ़त छिड़ रहा है आँसुओं के साज़ पर
मुस्कुराए हम तो उन को बद-गुमानी हो गई
—जिगर मुरादाबादी

(13.)
मोहब्बत मेरी बढ़ कर आ गई है बद-गुमानी तक!
मज़ा आ जाए हो जाएँ जो वो भी बद-गुमाँ मुझ से
—परवेज़ शाहिदी

(14.)
हमारे मय-कदे का ख़ास ये दस्तूर है वाइज़
यहाँ आए तो बाहर बद-गुमानी छोड़ आते हैं
—उदय प्रताप सिंह

(15.)
बढ़ी है आपस में बद-गुमानी मज़ा मोहब्बत का आ रहा है
हम उस के दिल को टटोलते हैं तो हम को वो आज़मा रहा है
—हफ़ीज़ जौनपुरी

(16.)
बद-गुमानी को बढ़ा कर तुम ने ये क्या कर दिया
ख़ुद भी तन्हा हो गए मुझ को भी तन्हा कर दिया
—नज़ीर बनारसी

(17.)
वो गए घर ग़ैर के और याँ हमें दम भर के बाद
बद-गुमानी उन के घर सू घर फिरा कर ले गई
—शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

(18.)
बुरा हो बद-गुमानी का वो नामा ग़ैर का समझा
हमारे हाथ में तो परचा-ए-अख़बार था क्या था
—परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़

(19.)
बड़ा इल्ज़ाम ठहरा है तअल्लुक़ रिश्ता-दारी का
क़राबत की मोहब्बत बद-गुमानी होती जाती है
—मुज़्तर ख़ैराबादी

(20.)
रखें हैं जी में मगर मुझ से बद-गुमानी आप
जो मेरे हाथ से पीते नहीं हैं पानी आप
—मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

(21.)
कोई इज़हार-ए-ना-ख़ुशी भी नहीं
बद-गुमानी सी बद-गुमानी है
—फ़िराक़ गोरखपुरी

(22.)
बिछड़ते वक़्त की उस एक बद-गुमानी में
सदाएँ बह गई सब आँख ही के पानी में
—रेनू नय्यर

(23.)
निगाहें बद-गुमानी से कहाँ जा-जा के लड़ती हैं
मिरी आँखों में हैं दुश्मन की बज़्म-आराईयाँ क्या-क्या
—ज़हीर देहलवी

(24.)
पय-ए-रफ़-ए-बद-गुमानी मैं वफ़ा बरत रहा था
मिरी पय-ब-पय वफ़ा से बढ़ी और बद-गुमानी
—अली जव्वाद ज़ैदी

(25.)
क़ुर्बतें फ़ासलों में बदलती रहीं
बद-गुमानी हर इक मोड़ पर तेरे बिन
—ख़्वाजा साजिद

(26)
मुझे कुश्ता देखा तो क़ातिल ने पूछा
यक़ीं है यहाँ बद-गुमानी की सूरत
—अनवर देहलवी

(27.)
कभी तो हम हैं यहाँ वहाँ के कभी तसव्वुर इधर उधर का
सुकून-ओ-राहत से क्या तअ’ल्लुक़ कि बद-गुमानी है और हम हैं
—नूह नारवी

(28.)
दम-ब-दम कह बैठना बस जाओ अपनी उन के पास
क्यूँ नहीं जाती वो अब तक बद-गुमानी आप की
—इंशा अल्लाह ख़ान

(29.)
लाख हुस्न-ए-यक़ीं से बढ़ कर है
उन निगाहों की बद-गुमानी भी
—फ़िराक़ गोरखपुरी

(30.)
कहीं अग़्यार के ख़्वाबों में छुप छुप कर न जाते हों
वो पहलू में हैं लेकिन बद-गुमानी अब भी होती है
—अख़्तर शीरानी

(31.)
किया इम्तिहाँ मेरा सौ मारकों में
वही है मगर बद-गुमानी तुम्हारी
—रिन्द लखनवी

(32.)
बढ़ते क़दमों को फिर से ठिठकना पड़ा
आई फिर दरमियाँ बद-गुमानी नई
—क़ैसर ख़ालिद

(33.)
थी बद-गुमानी अब उन्हें क्या इश्क़-ए-हूर की
जो आ के मरते दम मुझे सूरत दिखा गए
—मोमिन ख़ाँ मोमिन

(34.)
बद-गुमानी की फ़ज़ा में क्या सफ़ाई दें तुम्हें
इस फ़ज़ा में कोई भी हल मसअला होता नहीं
—इब्न-ए-मुफ़्ती

(35.)
हिफ़ाज़त में वो देखे ग़ैर की तुझ को क़यामत है
कभी जो बद-गुमानी से न हो कहता ख़ुदा-हाफ़िज़
—मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम

(साभार, संदर्भ: ‘कविताकोश’; ‘रेख़्ता’; ‘स्वर्गविभा’; ‘प्रतिलिपि’; ‘साहित्यकुंज’ आदि हिंदी वेबसाइट्स।)

1 Like · 294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ"
Dr. Kishan tandon kranti
अपनों के खो जाने के बाद....
अपनों के खो जाने के बाद....
Jyoti Khari
योग
योग
जगदीश शर्मा सहज
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
Kshma Urmila
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
Rj Anand Prajapati
ज़िन्दगी वो युद्ध है,
ज़िन्दगी वो युद्ध है,
Saransh Singh 'Priyam'
किसान
किसान
Bodhisatva kastooriya
दुःख के संसार में
दुःख के संसार में
Buddha Prakash
समस्या है यह आएगी_
समस्या है यह आएगी_
Rajesh vyas
#यादें_बाक़ी
#यादें_बाक़ी
*Author प्रणय प्रभात*
तमाशबीन जवानी
तमाशबीन जवानी
Shekhar Chandra Mitra
श्री बिष्णु अवतार विश्व कर्मा
श्री बिष्णु अवतार विश्व कर्मा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
.
.
Ragini Kumari
💐प्रेम कौतुक-254💐
💐प्रेम कौतुक-254💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
Ram Krishan Rastogi
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वृक्षों का रोपण करें, रहे धरा संपन्न।
वृक्षों का रोपण करें, रहे धरा संपन्न।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कोई मरहम
कोई मरहम
Dr fauzia Naseem shad
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
manjula chauhan
रिश्तों में पड़ी सिलवटें
रिश्तों में पड़ी सिलवटें
Surinder blackpen
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ममता
ममता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रेम पर्याप्त है प्यार अधूरा
प्रेम पर्याप्त है प्यार अधूरा
Amit Pandey
बर्फ की चादरों को गुमां हो गया
बर्फ की चादरों को गुमां हो गया
ruby kumari
कि लड़का अब मैं वो नहीं
कि लड़का अब मैं वो नहीं
The_dk_poetry
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
मनोज कर्ण
2579.पूर्णिका
2579.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...