Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Dec 2018 · 1 min read

बदला अखबार, ना बदले लोग

जितनी तेजी से अखबार बदला
अखबार के साथ समय बदला
और अखबार के लोग बदलें ।

उतनी तेजी से मासूम लोग नहीं बदले
उनकी धारणा नहीं बदली
उनका विश्वास नहीं बदला !

अखबार पत्रकारिता का उत्कृष्ट माध्यम
पत्रकारिता लोकतांत्रिक व्यवस्था का अहम हिस्सा
लोकतांत्रिक व्यवस्था लोगों को शासक का भाव देता ।

अब मात्र खबर का अखबार है
निष्पक्ष नहीं पक्षपाती खबर
स्वतंत्रता खो दिया है
धन की छत्रछाया में अब खबर

बड़ी चालाकी से बड़े-बड़े उद्योगपतियों का
अपना एक अखबार
नहीं तो किसी अखबार पर
अपना एक दबदबा

नीचे आते-आते यह चालाकी गिरकर
पतीत हो गई
अखबार प्रचार करने में
संलिप्त हो गई

बिका हुआ
छेड़-छाड़ किया हुआ
अर्थ का अनर्थ
और अनर्थ को आकार
अखबार की रूपरेखा हो गई ।

पत्रकारिता धूल चाट रही
पैसों के लिए
सही है,सवाल है ईमान से बढ़कर
पेट के लिए

सबकी रोजी-रोटी चल रही है
क्या होगा देखा जाएगा बाद में

आपसी सम्बन्ध, आपसी हित
मिलजुल कर देता है साथ
अब इस काम में ।

बेचारे लोग उसी तत्परता से
खबर पढ़ते हैं
विश्वास रखते हैं
अपनी मानसिकता गढ़ते हैं
बाद में फिर खुद को
ठगा सा महसूस करते हैं ।

उन्हें सच-झूठ का
भ्रम हो जाता
आकार-विचार का समझ
उनका खोटा बन जाता ।

फिर भी खुद को धोखे में रखकर
वो खबर की विश्वसनीयता बनाए रखते हैं
क्या करें बरसों-बरस से
ये मानसिकता वो पाये रहते हैं !!!?

Language: Hindi
406 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
****शिक्षक****
****शिक्षक****
Kavita Chouhan
उनसे बिछड़ कर ना जाने फिर कहां मिले
उनसे बिछड़ कर ना जाने फिर कहां मिले
श्याम सिंह बिष्ट
बहुत उम्मीदें थीं अपनी, मेरा कोई साथ दे देगा !
बहुत उम्मीदें थीं अपनी, मेरा कोई साथ दे देगा !
DrLakshman Jha Parimal
करो तारीफ़ खुलकर तुम लगे दम बात में जिसकी
करो तारीफ़ खुलकर तुम लगे दम बात में जिसकी
आर.एस. 'प्रीतम'
#लघुकथा / #बेरहमी
#लघुकथा / #बेरहमी
*Author प्रणय प्रभात*
2761. *पूर्णिका*
2761. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-220💐
💐प्रेम कौतुक-220💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तेरे ख़त
तेरे ख़त
Surinder blackpen
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
Manoj Mahato
* जन्मभूमि का धाम *
* जन्मभूमि का धाम *
surenderpal vaidya
*श्रद्धा विश्वास रूपेण**
*श्रद्धा विश्वास रूपेण**"श्रद्धा विश्वास रुपिणौ'"*
Shashi kala vyas
जिज्ञासा और प्रयोग
जिज्ञासा और प्रयोग
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
Smriti Singh
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
Shweta Soni
जिंदगी कंही ठहरी सी
जिंदगी कंही ठहरी सी
A🇨🇭maanush
बाबा नीब करौरी
बाबा नीब करौरी
Pravesh Shinde
डॉ अरुण कुमार शास्त्री ( पूर्व निदेशक – आयुष ) दिल्ली
डॉ अरुण कुमार शास्त्री ( पूर्व निदेशक – आयुष ) दिल्ली
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सुनबऽ त हँसबऽ तू बहुते इयार
सुनबऽ त हँसबऽ तू बहुते इयार
आकाश महेशपुरी
क्या ग़रीबी भी
क्या ग़रीबी भी
Dr fauzia Naseem shad
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
Harinarayan Tanha
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
gurudeenverma198
रेशम की डोर राखी....
रेशम की डोर राखी....
राहुल रायकवार जज़्बाती
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
बेरोजगारी के धरातल पर
बेरोजगारी के धरातल पर
Rahul Singh
जालिम
जालिम
Satish Srijan
Loading...