Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2017 · 4 min read

बदलाव

बदलाव

वह औरत जिसका नाम कमला था । आज तो मुझे किसी भी किमत पर नही छोड़ने वाली थी । क्योंकि सुबह से ही हर किसी इंसान से या गली से गुजरने वाले बच्चे, बूढ़े या जवान से मेरा पता पूछती फिर रही है क्योंकि अभी तीन दिन पहले ही मैं उस गली से गुजर रहा था जिस गली में उसका बड़ा सा एक मकान था । उस मकान में एक कमरा ऐसा था जिसमें उसके सास-ससुर लेटे हुए थे । बस उन्हीं से मिलकर मैं आया था ।
खडे़-खड़े ही उनसे उस दिन बस मिनट भर से ज्यादा बात नही हो पाई थी कि वे चिल्ला उठे और मैं वहां से भाग निकला । उस वाकये को याद करके आज मेरा दम निकला जा रहा था, क्योंकि मैं सोच रहा था कि – शायद उनके चिल्लाने से कमला को कोई तकलीफ हुई होगी और उसका बदला लेने के लिए आज वह मुझे सुबह से ही पूछ रही है, क्योंकि यह मैं भी जानता था कि कमला उस मोहल्ले में सबसे ज्यादा झगड़ालू औरत थी । गुस्सा तो उसकी नाक पर हमेषा धरा रहता था । कोई दिन ऐसा नही होगा जिस दिन कमला किसी से भी झगड़ा ना करती । जिस दिन कमला किसी से झगड़ा ना करती उस दिन उसे भोजन भी नही पचता था । सुबह से शाम तक यदि कोई झगड़ा ना होता, तो शाम को जब उसका पति ऑफिस से घर आता तो उसी के साथ किसी बात पर झगड़ पड़ती ।
जिस किसी से पूछती वो सीधा मेरे पास आता और उसके विषय में आकर बताते ओर कहते भाई साहब आप इस शहर में शायद नये आये हैं । इसलिए आप उसके विषय में कुछ भी नही जानते । इसलिए आपने उससे बिना वजह ही झगड़ा मोल ले लिया हैं । आप अच्छे इंसान लगते हैं । इसलिए हमारी मानें तो यहां से भाग जाइये । मैं भी उनकी बातों से घबरा गया क्योंकि मुझे लगा कि आज मेरी खैर नही । मैं वहां से निकल लिया । शहर से बाहर जाने वाली गली के रास्ते बाहर आ गया । शहर के बाहर एक पार्क सा बना हुआ था । जिसमें मैं जब कभी समय मिलता तो घुमने निकल आया करता था ।
मौसम तो मस्त था ही, और साथ में हरा भरा वह पार्क । जिसमें तरह-तरह के फूल भी खिले थे सो उन्हें देखकर मैं पिछली सारी बातें भूलकर वहीं टहलने लगा । मगर ना जाने उस औरत को उस पार्क का पता किसने दिया । वह वहीं आ पहंुची । जब उसे अपने पास आते हुए देखा तो मैं नजर बचाकर वहां से खिसक लिया । परन्तु वह औरत कहां मेरा पिछा छोड़ने वाली थी । मुझे पकड़ने के लिए वह मेरे पिछे दौड़ी । मैं दौड़ता रहा । वह भी मेरे पिछे रूको-रूको की आवाज करती हुई दौड़ती रही ।
आखिर मैंने सोचा कि कब तक मैं भागता रहूंगा । आज भागूंगा, कल भागूंगा । परन्तु कभी तो इसके हाथ आऊंगा ही । फिर ना जाने ये मेरे साथ क्या करें सो जो कुछ करेगी । आज ही कर लेगी । यह सोच कर अचानक मैंने अपनी रफतार धीमी कर ली । और उसने पिछे से आकर मुझे पकड़ लिया । आते ही दो तमाचे मेरे मुंह पर जड़ कर कहने लगी –
‘मुझे देखकर तू भागा‘
‘मैं डर गया था काकी, मुझे माफ कर दो‘
‘तुझे माफ कर दूं ? क्या सोचा था तूने मैं तुझे माफ कर दूंगी । मुझसे ऐसे तो आंख चुरा तेरे काका भी आज तक नही भाग सके फिर तू क्या चीज है । और कहता है डर गया था मैं कोई डायन हूं जो तु मुझसे डर गया । आज तो मैं तुझे नही छोडूंगी । चल मेरे घर ।
मैं डरता क्या ना करता सो उसके आगे-आगे ऐसे चलने लगा जैसे कोई पशु मालिक की मार से बचने के लिए चुपचाप ईधर-ऊधर बिना देखे चलने लगा, मगर कभी-कभी कनखियों से जो ईधर-ऊधर देखता तो मुझे लोगों के डरे हुए चेहरे और मेरे प्रति सहानुभूति दर्षाते हुए दिखाई दे रहे थे । वे कुछ ना बोलते हुए बस टकटकी लगाये हुए देख रहे थे । क्योंकि उन्हें पता था कि जो उन्होंने टोका तो आफत उनके गले पड़ जायेगी ।
अब भी कमला के मन में जब आता तो वह मुझे लात-घुस्से जड़ देती थी । उसके घर तक पहुंचते-पहुंचते मुझे बीस-तीस थप्पड़ और बहुत सी लातें खानी पड़ी थी । बड़ी मुष्किल से मैं उसके घर पहुंचा । उसके घर पहुंचकर दरवाजे के अन्दर दाखिल होकर उसने मुझे बड़े से चौक में एक तरफ बैठने का इषारा किया सो मैं बहुत जल्दी वहां बैठ गया ।
तू ही है ना, जो उस दिन मेरे घर आया था, चिल्लाते हुए कहा ।
हां मैं ही था काकी, मुझे माफ कर दो । मैं इस शहर में अंजान हूं । मुझे पता नही था, मैंने डरते हुए हाथ जोड़कर कहा ।
क्या नही पता था तुझे ।
यही कि मेरे आने से आप नाराज होंगी ।
तूने मेरे सास-ससुर को बहकाया है, मैं तुझे नही छोडूंगी । सच-सच बता तूने इनसे ऐसा क्या कहा था ।
मैनें कुछ नही कहा इनको ।
कुछ तो कहा होगा इनको, जो ये इतने खुश नजर आ रहे हैं । पहले तो कभी इनको इतना ,खुश नही देखा था । मैं इन्हें तड़फ-तड़फ कर और जल्दी से मरता हुआ देखना चाहती थी मगर इनकी खुषी ने तो इनकी उम्र और ज्यादा बढ़ा दी है ।
मैं अब भी वहां नीची गर्दन किये कांप रहा था मेरे ना बोलने पर उसने दो-चार तमाचे ओर मेरे गालों पर जमा दिये । मेरी आंखों से आंसू बहने लगे ।
सच-सच बता तूने इन्हें ऐसा क्या

Language: Hindi
364 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पिता
पिता
Sanjay ' शून्य'
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
Rajesh vyas
अपने-अपने चक्कर में,
अपने-अपने चक्कर में,
Dr. Man Mohan Krishna
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
Rj Anand Prajapati
मैं और दर्पण
मैं और दर्पण
Seema gupta,Alwar
मैं तो महज एक नाम हूँ
मैं तो महज एक नाम हूँ
VINOD CHAUHAN
नींबू की चाह
नींबू की चाह
Ram Krishan Rastogi
वक़्त के वो निशाँ है
वक़्त के वो निशाँ है
Atul "Krishn"
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
माना नारी अंततः नारी ही होती है..... +रमेशराज
माना नारी अंततः नारी ही होती है..... +रमेशराज
कवि रमेशराज
★Dr.MS Swaminathan ★
★Dr.MS Swaminathan ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
*जीवन का आधार है बेटी,
*जीवन का आधार है बेटी,
Shashi kala vyas
🌺प्रेम कौतुक-206🌺
🌺प्रेम कौतुक-206🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आजकल के परिवारिक माहौल
आजकल के परिवारिक माहौल
पूर्वार्थ
■ शायद...?
■ शायद...?
*Author प्रणय प्रभात*
एक ख़्वाब सी रही
एक ख़्वाब सी रही
Dr fauzia Naseem shad
तोता और इंसान
तोता और इंसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
Shweta Soni
जग कल्याणी
जग कल्याणी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शहीदों लाल सलाम
शहीदों लाल सलाम
नेताम आर सी
जंगल की होली
जंगल की होली
Dr Archana Gupta
भाव - श्रृँखला
भाव - श्रृँखला
Shyam Sundar Subramanian
"साँसों के मांझी"
Dr. Kishan tandon kranti
मौज में आकर तू देता,
मौज में आकर तू देता,
Satish Srijan
हमारा भारतीय तिरंगा
हमारा भारतीय तिरंगा
Neeraj Agarwal
भारत मे तीन चीजें हमेशा शक के घेरे मे रहतीं है
भारत मे तीन चीजें हमेशा शक के घेरे मे रहतीं है
शेखर सिंह
*झूठी शान चौगुनी जग को, दिखलाते हैं शादी में (हिंदी गजल/व्यं
*झूठी शान चौगुनी जग को, दिखलाते हैं शादी में (हिंदी गजल/व्यं
Ravi Prakash
हनुमानजी
हनुमानजी
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
सिर्फ यह कमी थी मुझमें
सिर्फ यह कमी थी मुझमें
gurudeenverma198
दो जीवन
दो जीवन
Rituraj shivem verma
Loading...