— बता तो दो मुझे —
बड़ा मन होता है
कभी कभी बहुत रोता है
अपने दिल की बात कहने को
हर वक्त तरसा सा रहता है
वो चेहरा जो हुआ करता था
वो चेहरा कहाँ अब रहता है ?
वो बात नजर नही आती मुझे
बता तो दो ऐसा क्यों होता है ?
जहाँ दिल मिले वहां ही
अब अँधेरा सा क्य्यों होता है ?
दिल में होती हैं अनगिनत बातें
पर कहने से अब रूक क्य्यूं जाता है ?
मत दिखाओ वो दो चेहरे
जिस को नही पसंद करता
बस वो दिल साफ़ दिखाओ
जिस को देखने को दिल करता
अजीत कुमार तलवार
मेरठ