किस तरह बरबाद करोगे..
बताओ तो ज़रा किस तरह बर्बाद करोगे…..
हर हाल मुझे ही सताओगे,
पता है तुम ही बेवफ़ाई करोगे ।
इधर भूखमरी से तबाह है मेरी ज़िंदगी,
और एक तू है कि भूख मिटती नहीं तेरी ।
सिर्फ़ दो जून का खाना है मेरे पास,
उतना फ़िक जाता है तेरे कूचे में ।
क्या हक़ नहीं कि हम क़भी भरपेट सोयेंगें,
या फ़िर आज तेरे सितम से बै मौत मरेंगे ।
मुझे पता है तुम ही बेबफाई करोगे,
बताओ तो ज़रा किस तरह बरबाद करोगे ।
है मेरी हस्ती नहीं कि,
पढ़ सकूँ दो ज्ञान अक्षर ।
कह रहे हैं आप ख़ुशी से,
मेरा देश बना है साक्षर ।
जब माँगू मैं हक़ जो अपना
क्या करता हूँ मैं द्रोह देश से ।
अब तो लगता है मुझे शायद वो ये सोचेंगे,
हम शिक्षा ले सकते नहीं निरक्षर ही मरेंगे ।
मुझे पता है तुम ही बेबफाई करोगे,
बताओ तो ज़रा किस तरह बरबाद करोगे ।
हालात-ए-बददस्तूर है गरीबों के आशियाने का,
बयाँ कैसे करूँ मैं उनके ग़रीबखाने का ।
रोता हूँ खूँ के आँशु यहाँ,
गुज़ारिश कोई सुनले कभी ।
अब न रोने के क़ाबिल बचा हूँ,
मैं हूँ बस इन्सान नाम का ।
न मेरा कोई अस्तित्व है यहाँ,
न हकों-अधिकार है मुझको ।
अब कैसे अपने दामन को बचाऊंगा,
मैं तो बलुआ रेत हूँ ज़नाब,
हवा के झोंके से बिखर जाऊँगा ।
फ़िर कैसे मुझे तुम इक्कठा करोगे,
बताओ तो जरा किस तरह बरबाद करोगे ।।
मुझे पता है कि तुम ही बेबफाई करोगे,
बताओ तो ज़रा किस तरह बरबाद करोगे ।