Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2020 · 1 min read

बडा भला आदमी था

काफिला चला जा रहा था
मै उसके संग
चलने की कोशिश कर रहा था
वो बढ़ता ही जा रहा था
मुझे पीछे छोड़ते हुए
किसी एक ने भी
पीछे मुड़कर नही देखा
कि मै कैसे कहाँ था
आशा मुझे भी थी कि
कोई साथ मुझे ले चले
मै पिछड़ता जा रहा था
पर किससे
अपनों और अपने काफिले से
मैने लाख कोशिश की
साथ चलने की पर
साथ देने वाला न मिला
काश ये काफिला रुकता
और
मुझे अपने संग ले चलता
इस उम्मीद में
मै छला जा रहा था पर
मुझसे और नही चला जा रहा था
लोग समझ रहे थे
मै नाटक कर रहा था
पर ये जमीनी हकीकत थी
लोग चलते रहे
मै जलता रहा
भीतर की अनदेखी आग से
कब जलकर मै राख हो गया
मुझे भी ना पता चला
लोग मेरी राख से खेल रहे थे होली
तभी पास खड़ी
एक मोहतरमा बोली
बडा भला आदमी था
जिसकी आज राख यहां फैली
मै अवाक् देखता रहा
कभी उसके चेहरे को
कभी उस ठण्डी होती राख को ।……….मधुप बैरागी.

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 438 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
बांते
बांते
Punam Pande
*करो अब चाँद तारे फूल, खुशबू प्यार की बातें (मुक्तक)*
*करो अब चाँद तारे फूल, खुशबू प्यार की बातें (मुक्तक)*
Ravi Prakash
जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
पूर्वार्थ
कुछ चूहे थे मस्त बडे
कुछ चूहे थे मस्त बडे
Vindhya Prakash Mishra
कहां गए (कविता)
कहां गए (कविता)
Akshay patel
*भगवान के नाम पर*
*भगवान के नाम पर*
Dushyant Kumar
"मनुष्यता से.."
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Seema gupta,Alwar
कोरोंना
कोरोंना
Bodhisatva kastooriya
अंधेर नगरी-चौपट राजा
अंधेर नगरी-चौपट राजा
Shekhar Chandra Mitra
मौन सभी
मौन सभी
sushil sarna
साल भर पहले
साल भर पहले
ruby kumari
रक्षा -बंधन
रक्षा -बंधन
Swami Ganganiya
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
अजहर अली (An Explorer of Life)
💐प्रेम कौतुक-486💐
💐प्रेम कौतुक-486💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
यह जो आँखों में दिख रहा है
यह जो आँखों में दिख रहा है
कवि दीपक बवेजा
अगर जीवन में कभी किसी का कंधा बने हो , किसी की बाजू बने हो ,
अगर जीवन में कभी किसी का कंधा बने हो , किसी की बाजू बने हो ,
Seema Verma
कूड़े के ढेर में भी
कूड़े के ढेर में भी
Dr fauzia Naseem shad
अपमान
अपमान
Dr Parveen Thakur
मोह मोह के चाव में
मोह मोह के चाव में
Harminder Kaur
अपनी समस्या का समाधान_
अपनी समस्या का समाधान_
Rajesh vyas
*
*"बापू जी"*
Shashi kala vyas
हिंदी दोहा -रथ
हिंदी दोहा -रथ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हिन्दी पर विचार
हिन्दी पर विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्यार की कस्ती पे
प्यार की कस्ती पे
Surya Barman
जीवन
जीवन
नवीन जोशी 'नवल'
जिस बाग में बैठा वहां पे तितलियां मिली
जिस बाग में बैठा वहां पे तितलियां मिली
कृष्णकांत गुर्जर
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता "ओमप्रकाश"
Dr. Narendra Valmiki
ओ! मेरी प्रेयसी
ओ! मेरी प्रेयसी
SATPAL CHAUHAN
Loading...