बज उठी शहनाई
बज उठी शहनाई
दुल्हन शर्माई
सपने हो रहे पूरे
दूल्हा मन ही मन
हर्षाये
दिया
माता पिता ने
आशीर्वाद
करे बहन
ठिठोली
उठाई भाई ने
डोली
चली ससुराल
प्यारी बहना
लाडली है
सब की वो
मान मिले
ससुराल में भी
बन बेटी जाती है
बेटी रहे
वहाँ भी वो
मंगल
करती है
शहनाई
देते है सब
एक दूजे को
बधाई
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल