Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Aug 2017 · 2 min read

“बच्चे को बच्चा ही समझे”

किसी ने सच कहा है “बच्चों को बच्चा ही समझे” बडो जैसी अपेक्षाए पालना उनकी कोमलता के साथ निरर्थक ज्यादती ही होगी।

शिक्षा के निजीकरण के कारण दिखावेपन की होड नजर आने लगी है । बच्चे के मानसिक तनाव को कम करने का कोई विकल्प नजर नही आ रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हाल ही मे चेताया है कि कुछ नियम बाया जायेगा जिसमे दो तक के बच्चों को बस्ता नहीं ढोना पड़ेगा। यह एक सराहनीय पहल है। सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम अनुसार बस्तों से हल्के हैं पर निजी संस्थान लोलुपता के कारण इसका पालन नही करते। सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक कक्षाओं में भाषा, गणित के अतिरिक्त एक या दो पुस्तकें हैं। लेकिन निजी स्कूलों के बस्तों का भार बढ़ता जा रहा है उसके पीछे शिक्षा का व्यवसायीकरण दोषी है।
अंग्रेजी स्कूलों की हालत यह है कि एक भारी भरकम बैग थमा देते है। जिससे वार्षिक फायदा निकाल लिया जाता है। ।इसतरह बच्चों के मन-मस्तिष्क पर बेवजह बोझ लादा जा रहा है। माता-पिता भी होमवर्क की चक्की में पिस रहे हैं। बच्चो को उनकी रुचि क्षमता जाने बिना ही शिक्षा थोपी जाती है । यह सुकोमल मन पर ज्यादती है। फिर कमाल की बात है कि बच्चे के घर आने के बाद कोचिंग के हवाले कर दिया जाता है । रटने से बच्चों के मस्तिष्क की दुरुपयोग होता है ।वह केवल कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए रटते है ।भाव तो समझाए ही नही जाते। अभिभावको को जानना जरूरी है कि अमुक प्रकरण का जीवन में क्या उपयोग है । इससे अनभिज्ञ होने के कारण ही आगे चलकर बच्चा बेरोजगार हो जाता है या शिक्षा निष्प्रयोजन हो जाती है ।इससे अभिभावकों को बचना चाहिए ।
बच्चों की कोमलता को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षा की व्यवस्था करें । बच्चों को बच्चा ही समझते हुए अपेक्षा रखे। और बचपन बचाएं।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र

Language: Hindi
Tag: लेख
684 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सिर्फ़ सवालों तक ही
सिर्फ़ सवालों तक ही
पूर्वार्थ
सदा सदाबहार हिंदी
सदा सदाबहार हिंदी
goutam shaw
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
Shakil Alam
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"मन और मनोबल"
Dr. Kishan tandon kranti
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
Kishore Nigam
रोशन
रोशन
अंजनीत निज्जर
नसीहत
नसीहत
Shivkumar Bilagrami
बड़ा हीं खूबसूरत ज़िंदगी का फलसफ़ा रखिए
बड़ा हीं खूबसूरत ज़िंदगी का फलसफ़ा रखिए
Shweta Soni
रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
कवि रमेशराज
जब आप ही सुनते नहीं तो कौन सुनेगा आपको
जब आप ही सुनते नहीं तो कौन सुनेगा आपको
DrLakshman Jha Parimal
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आरुष का गिटार
आरुष का गिटार
shivanshi2011
प्यार के सरोवर मे पतवार होगया।
प्यार के सरोवर मे पतवार होगया।
Anil chobisa
जल संरक्षण बहुमूल्य
जल संरक्षण बहुमूल्य
Buddha Prakash
*भंडारे की पूड़ियॉं, हलवे का मधु स्वाद (कुंडलिया)*
*भंडारे की पूड़ियॉं, हलवे का मधु स्वाद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
व्यावहारिक सत्य
व्यावहारिक सत्य
Shyam Sundar Subramanian
नील पदम् के बाल गीत Neel Padam ke Bal Geet #neelpadam
नील पदम् के बाल गीत Neel Padam ke Bal Geet #neelpadam
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
माँ
माँ
The_dk_poetry
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
अपने आलोचकों को कभी भी नजरंदाज नहीं करें। वही तो है जो आपकी
अपने आलोचकों को कभी भी नजरंदाज नहीं करें। वही तो है जो आपकी
Paras Nath Jha
राहत के दीए
राहत के दीए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
Dr MusafiR BaithA
युवा है हम
युवा है हम
Pratibha Pandey
सतरंगी इंद्रधनुष
सतरंगी इंद्रधनुष
Neeraj Agarwal
सच और झूँठ
सच और झूँठ
विजय कुमार अग्रवाल
3295.*पूर्णिका*
3295.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़रीब
ग़रीब
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
जज्बात
जज्बात
अखिलेश 'अखिल'
Loading...