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2 Dec 2016 · 1 min read

बचपन

न कोई धोखा था, न कोई फरेब
काश लौट आये वह बचपन.

न कोई दुनियादारी थी, न कोई समझदारी
काश लौट आये वह बचपन.

दर्द गम की समझ से दूर, ख़ुशी के पलों से गुजरता हर के पल,
काश लौट आये वह बचपन.

न जाति थी, न कोई भाषा जिसकी मासूमियत थी सिर्फ भाषा,
काश लौट आये वह बचपन.

समाज दुनिया की बातों में भुला बैठे, सुकून का हर वह पल. दिल वही कहता है
काश लौट आये फिर वह बचपन.

Language: Hindi
393 Views
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