बचपन
बचपन कितना सुंदर होता,
शब्दो से कहा नही जाता ।
कितना आनन्द हमें देता,
सोच सोच मन हर्षित होता ।।
काश दिवस वो फिर आ जाये,
बन बालक हम ममता पाए ।
माँ की गोद मे सदा छुपते,
भाई बहिन का प्रेम पाते ।।
अब बैठ बचपन याद करते,
मन को बहुत बार समझाते ।
कितने सुहावने वो दिन थे,
हम राजा हम ही प्रजा थे ।।