बचपन बनाम बुढ़ापा
नहीं सोचा था
बचपन में
बुढापा आऐगा
कागज की नाव
बुढ़ापे तलक
लकड़ी की
हो जाऐगी
मम्मी पापा की
फटकार
अब यादें
रह जाएंगी
मास्साब
की छड़ी
निशान
छोड़ जाएंगी
बचपन में
स्कूल की टाटपट्टी
खींचन कर गिराना
बुढ़ापे तलक
अपनों को
गिराने का
शौक बन जाऐगा
बचपन में
मालपुआ
खाने की पसंद
बुढ़ापे में
फीके खाने तलक
आ जाऐगी
बुढ़ापे में तो
नटखट बचपन
याद आऐगा
है विडम्बना यही
बचपन में
नटखट बुढापा
याद आता नहीँ
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल