Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2021 · 2 min read

बचपन की यादों को यारो मत भुलाना

बचपन की यादों को यारो मत भूलाना
*******************************
शाम होते ही छतो पर चढ़ जाना,
छतो पर चढ़कर पानी छिड़कना,
पानी छिड़का कर गद्दे बिछाना
गद्दे बिछाकर उसपर चादर बिछाना।
बचपन की यादों यारो मत भुलाना।।

आधी रात को बरसात का आ जाना
गद्दे चादर उठाकर नीचे भाग जाना,
भाग कर फिर से मुंह ढक कर सो जाना,
मम्मी ने सुबह डंडे मारकर जगाना,
बचपन की यादों को यारो मत भूलाना

सुबह होते ही खेतो पर चले जाना,
खेतो पर जाकर वहां रहट चलाना,
रहट चलाकर वहां नंगे नहाना,
नहाकर फिर ढेर सारे गन्ने खाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

किराए की साइकिल लाकर उसको चलाना,
गद्दी पर न पैर आए उसकी कैची चलाना,
एक घंटे की जगह सवा घंटे चलाना,
पैसे देने के नाम पर करते थे बहाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

फटे टायरो को गलियों में चलाना,
साईकिल के रिमो को डंडे से भगाना,
डंडा टूट जाए तो कीलो से जुड़वाना,
जुड़वा कर फिर से पहिया चलाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

आंख मिचौली में किसी के घर छिप जाना,
छिपकर भी दोस्तो को आवाजे लगाना,
पकड़े गए तो रोकर घर भाग जाना,
आ जाते थे घर दोस्त, फिर उनका मनाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

कोड़ा जमाई खेल में आंखे दिखना,
खोखों के खेल में किसी के पीछे छुप जाना,
कबड्डी के खेल में अपनी टीम को बनाना,
कबड्डी कबड्डी कहकर दूसरे के पाले में जाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

खेल के मैदान में खुरपे से गुच्ची बनाना,
लकड़ी देकर बढ़ई से गुल्ली डंडा बनवाना,
फिर यार दोस्तो को उनके घरों से बुलवाना,
बुलवाकर फिर गुल्ली डंडे की दो टीम बनाना,
बचपन की यादों को यारो मत भुलाना।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 541 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
अगर आज किसी को परेशान कर रहे
अगर आज किसी को परेशान कर रहे
Ranjeet kumar patre
बढ़ता उम्र घटता आयु
बढ़ता उम्र घटता आयु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
स्त्रियों में ईश्वर, स्त्रियों का ताड़न
स्त्रियों में ईश्वर, स्त्रियों का ताड़न
Dr MusafiR BaithA
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
परिणय प्रनय
परिणय प्रनय
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
दृष्टिबाधित भले हूँ
दृष्टिबाधित भले हूँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
डार्क वेब और इसके संभावित खतरे
डार्क वेब और इसके संभावित खतरे
Shyam Sundar Subramanian
हर सफ़र ज़िंदगी नहीं होता
हर सफ़र ज़िंदगी नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
12, कैसे कैसे इन्सान
12, कैसे कैसे इन्सान
Dr Shweta sood
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोस्ती...
दोस्ती...
Srishty Bansal
रूपसी
रूपसी
Prakash Chandra
■ संडे इज़ द फंडे...😊
■ संडे इज़ द फंडे...😊
*Author प्रणय प्रभात*
अटूट सत्य - आत्मा की व्यथा
अटूट सत्य - आत्मा की व्यथा
Sumita Mundhra
~~तीन~~
~~तीन~~
Dr. Vaishali Verma
मिष्ठी का प्यारा आम
मिष्ठी का प्यारा आम
Manu Vashistha
गुरु बिन गति मिलती नहीं
गुरु बिन गति मिलती नहीं
अभिनव अदम्य
सीप से मोती चाहिए तो
सीप से मोती चाहिए तो
Harminder Kaur
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अमीरों का देश
अमीरों का देश
Ram Babu Mandal
कविता
कविता
Shyam Pandey
माँ
माँ
Vijay kumar Pandey
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को
Anju ( Ojhal )
हर बार बिखर कर खुद को
हर बार बिखर कर खुद को
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
3190.*पूर्णिका*
3190.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
--> पुण्य भूमि भारत <--
--> पुण्य भूमि भारत <--
Ms.Ankit Halke jha
*तुलसीदास (कुंडलिया)*
*तुलसीदास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
Jitendra Chhonkar
बुद्ध की राह में चलने लगे ।
बुद्ध की राह में चलने लगे ।
Buddha Prakash
Loading...