बचपन का इश्क
बचपन का इश्क
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बचपन का इश्क भी
अनूठा होता है ,
कुछ खट्टा कुछ मीठा होता है।
वो एक दूजे का हाथ पकड़कर
स्कूल आना जाना,
साथ साथ खेलना
लड़ना झगड़ना,
फिर कुछ ही देर में
सब कुछ भूलकर
हंँसना, मुस्कराना, मस्ती करना
कर देता है दीवाना।
न कोई उम्मीद, न ही कोई डर
आपस में बैठकर सपने सजाना,
फिर अचानक से
बिछडं जाना,
न कोई शिकायत, न कोई ताना
रही है बचपन के इश्क का
खूबसूरत नजराना।
@सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921