बगीचा
आज मेरे घर का बगीचा
शिकायत कर रहा था मुझसे औऱ
कह बैठा मुझसे…
क्या तूने कभी लिखा मेरे बारे में
क्या तूने कभी लिखा मेरी खूबसूरती के बारे में
मुझे तो तुमने अपनी इच्छा से ही लगाया था ना
जिसे तुमने अपनी इच्छा से पाला पोसा हैं ना
क्या तूने कभी लिखा अपने आंगन की शान
मतलब मेरे बारे में जिसकी हरियाली भाती हैं
तुम्हे हर पल जिसकी शाखाओं के फूल देख तुम
खुश होती हो खिलखिलाती हो ,मुस्कुराती हो
क्या तूने कभी लिखा पेड़ की पत्तियों के बारे में
आखिर क्यों नही लिखा…?
जिनके साथ तुम खिंचती हो फ़ोटो सोम्यतापूर्ण
क्या तूने कभी लिखा अपने आंगन के हर पेड़ के बारे में
क्या तुम्हारा फर्ज नहीं बनता मेरे प्रति बोलो..?
क्या लिखा तूने कभी अपनी लापरवाही के बारे में बोलो
कि तुम भूल जाती हो मुझे लिखते समय
क्यों नहीं लिखा मेरे बारे में बताओ मंजु क्यो नही लिखा
आखिर क्यों नही …..?