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15 Feb 2018 · 1 min read

बंधुआ मज़दूरी

बंधुआ मज़दूरी है कलंक कब से इस समाज पर
करना है विकास अगर तो, रोक लगा दो इस रिवाज़ पर

भूस्वामी, उच्च वर्ग करता कब से शोषण है आ रहा
मज़दूर की मज़दूरी को यह, कब से है खा रहा
हो गए हैं बेसुरे जीवन-गीत आज, ज़िंदगी के साज़ पर
करना है विकास अगर तो, ……………………………….. (1.)

भोगी थी गुलामी अँग्रेज़ों की, आज़ादी का सपना था
हर तरह से समान हों सब विचार ऐसा अपना था
पर रखता कौन नज़र यहाँ शोषण के इस बाज़ पर
करना है विकास अगर तो, ……………………………………(2.)

खेत-खलियान, उद्द्योग में श्रम का शोषण हो रहा
आदमी पर बौझ आदमी, मज़दूर कब से ढो रहा
आख़िर कब तक विश्वास करें हम किसी धौखेबाज पर
करना है विकास अगर तो, ………………………………………(3.)

आनंद प्रकाश रख विश्वास बंधन सब टूटेंगे
लूटने वाले श्रम को कब तक आख़िर लूटेंगे
घड़ा पाप का फुटेगा, निकलेगा कोढ़ खाज पर
करना है विकास अगर तो, …………………………………………(4.)
– आनंद प्रकाश आर्टिस्ट, भिवानी(हरियाणा) Mo – 9416690206

Language: Hindi
Tag: गीत
322 Views
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