Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2020 · 1 min read

बंद पड़ीं है लेखनी

बंद पड़ीं है लेखनी, मूक हुए सब भाव।
हर पल खलता है मुझे, केवल यही अभाव ।। १

दहक रही है ज़िन्दगी, जैसे जले अलाव।
मेरे अंदर घुट रहे, मेरे सारे भाव।। २

हे!कविता मुझको लिखो, आओ मन के गांव ।
फिर से पाऊँ मैं वहीं, शीतल निर्मल ठांव।।३

मन के भावों को मिले, फिर से नवल प्रभाव।
छंद बद्ध होने लगे, कविता का घेराव।। ४

कविता तुम मुझको चुनो,भर दो सारे घाव ।
हृदय कुन्ज आकर बसो, कर दो दूर तनाव।। ५

कविता सरिता सी बहो,सागर सा गहराव
जब तक मैं हूँ तुम रहो,लिए सुगंधित भाव ।।६

लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
6 Likes · 5 Comments · 270 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
*दर्द का दरिया  प्यार है*
*दर्द का दरिया प्यार है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद
देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद
Shyam Sundar Subramanian
जला दो दीपक कर दो रौशनी
जला दो दीपक कर दो रौशनी
Sandeep Kumar
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया कैसे ।
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया कैसे ।
Neelam Sharma
"चरित्र-दर्शन"
Dr. Kishan tandon kranti
In wadiyo me yuhi milte rahenge ,
In wadiyo me yuhi milte rahenge ,
Sakshi Tripathi
सापटी
सापटी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
#हौंसले
#हौंसले
पूर्वार्थ
बगावत की आग
बगावत की आग
Shekhar Chandra Mitra
फिर जिंदगी ने दम तोड़ा है
फिर जिंदगी ने दम तोड़ा है
Smriti Singh
बरसात
बरसात
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मां शैलपुत्री देवी
मां शैलपुत्री देवी
Harminder Kaur
कल की फिक्र में
कल की फिक्र में
shabina. Naaz
*साधुता और सद्भाव के पर्याय श्री निर्भय सरन गुप्ता : शत - शत प्रणाम*
*साधुता और सद्भाव के पर्याय श्री निर्भय सरन गुप्ता : शत - शत प्रणाम*
Ravi Prakash
उन्नति का जन्मदिन
उन्नति का जन्मदिन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
बारिश की बूंदों ने।
बारिश की बूंदों ने।
Taj Mohammad
फितरत जग एक आईना
फितरत जग एक आईना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ओ! महानगर
ओ! महानगर
Punam Pande
खूब उड़ रही तितलियां
खूब उड़ रही तितलियां
surenderpal vaidya
गौ माता...!!
गौ माता...!!
Ravi Betulwala
वसंत
वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुम्हारा चश्मा
तुम्हारा चश्मा
Dr. Seema Varma
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
Vivek Pandey
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
Chandrakant Sahu
न्याय तो वो होता
न्याय तो वो होता
Mahender Singh
प्रेम की कहानी
प्रेम की कहानी
Er. Sanjay Shrivastava
2592.पूर्णिका
2592.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...