Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2020 · 1 min read

“बंदगी”

एक यकीन था तुझें मेरा
एक मै त्तुझें दिलाना चाहती थी
मै बस तुझें करीब से
एक बार देखना चाहती थी

मै तो तुझें सपनों की दुनिया में मिलती थी
कब मै कोई हकीक़त का फ़साना बनाना चाहती थी

मै मोम थी,
मै वाक़िफ थी अपने वजूद से
फिर भी मै पिघलकर
तुझें छूना चाहती थी

दूरियों का अहसास कब हुआ तुझसे,
कौन जाने
तू दूर था, मै पास आना चाहती थी

जब देखा तुझें सजदे किए
लाखों तेरी रांहो में
बस इसी तरह मै अपनी
“बंदगी” दिखाना चाहती थी।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 640 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
छान रहा ब्रह्मांड की,
छान रहा ब्रह्मांड की,
sushil sarna
💐अज्ञात के प्रति-15💐
💐अज्ञात के प्रति-15💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गिनती
गिनती
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गणतंत्र दिवस की बधाई।।
गणतंत्र दिवस की बधाई।।
Rajni kapoor
ख़त्म हुईं सब दावतें, मस्ती यारो संग
ख़त्म हुईं सब दावतें, मस्ती यारो संग
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
Bhupendra Rawat
■ बात अगर ग़ैरत की हो तो क्यों न की जाए हिज़रत?
■ बात अगर ग़ैरत की हो तो क्यों न की जाए हिज़रत?
*Author प्रणय प्रभात*
उर्दू
उर्दू
Surinder blackpen
शे’र/ MUSAFIR BAITHA
शे’र/ MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
संत ज्ञानेश्वर (ज्ञानदेव)
संत ज्ञानेश्वर (ज्ञानदेव)
Pravesh Shinde
अजब-गजब इन्सान...
अजब-गजब इन्सान...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पति-पत्नी, परिवार का शरीर होते हैं; आत्मा तो बच्चे और बुजुर्
पति-पत्नी, परिवार का शरीर होते हैं; आत्मा तो बच्चे और बुजुर्
विमला महरिया मौज
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
पंकज कुमार कर्ण
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
Shashi kala vyas
यही एक काम बुरा, जिंदगी में हमने किया है
यही एक काम बुरा, जिंदगी में हमने किया है
gurudeenverma198
होली का रंग
होली का रंग
मनोज कर्ण
अपनी तस्वीर
अपनी तस्वीर
Dr fauzia Naseem shad
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
Pramila sultan
अरे सुन तो तेरे हर सवाल का जवाब हूॅ॑ मैं
अरे सुन तो तेरे हर सवाल का जवाब हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
*चलो टहलने चलें पार्क में, घर से सब नर-नारी【गीत】*
*चलो टहलने चलें पार्क में, घर से सब नर-नारी【गीत】*
Ravi Prakash
भीम षोडशी
भीम षोडशी
SHAILESH MOHAN
“See, growth isn’t this comfortable, miraculous thing. It ca
“See, growth isn’t this comfortable, miraculous thing. It ca
पूर्वार्थ
सुनो सखी !
सुनो सखी !
Manju sagar
सोच की अय्याशीया
सोच की अय्याशीया
Sandeep Pande
सुन लो मंगल कामनायें
सुन लो मंगल कामनायें
Buddha Prakash
मुक्तक
मुक्तक
anupma vaani
जो हमारे ना हुए कैसे तुम्हारे होंगे।
जो हमारे ना हुए कैसे तुम्हारे होंगे।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...