फेंक जनेऊ अब दई
फेंक जनेऊ अब दयी,टोपी रख ली शीष।
ईश्वर से अब छक गये, लें मुल्ला आशीष।।
लें मुल्ला आशीष,तजी सब मर्यादा है।
राजनीति वह चीज,करें हित कर ज्यादा है।
कहै अटल कविराय,टहलते आज बटेऊ।
कहीं मिले अब ठौर, ढूंढते फेंक जनेऊ।
फेंक जनेऊ अब दयी,टोपी रख ली शीष।
ईश्वर से अब छक गये, लें मुल्ला आशीष।।
लें मुल्ला आशीष,तजी सब मर्यादा है।
राजनीति वह चीज,करें हित कर ज्यादा है।
कहै अटल कविराय,टहलते आज बटेऊ।
कहीं मिले अब ठौर, ढूंढते फेंक जनेऊ।