Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2017 · 1 min read

फूल की महक

फूल वो फूल नहीं जो अपनी महक दे न सके गुलशन को ,
चन्दन वो चन्दन नहीं जो शीतलता दे न सके उपवन को I

फूल को गुमान है कि वह केवल अपने लिए ही जीवन जिया ,
अपने आस-पास किसी को अपनी तनिक खुसबू भी न दिया ,
अपने को फुलवारी का राजा कहलाने में ख़ुशी महसूस किया ,
दूसरे फूलों की महक को प्यारे उपवन में बिखरने भी न दिया ,

फूल वो फूल नहीं जो अपनी महक दे न सके इस गुलशन को ,
सूरज वो सूरज नहीं जो प्रकाश की किरणें दे न सके चमन को I

अनोखे फूल की महक :

अनोखा फूल “जहाँ” की ख़ुशी के लिए करता अपना बलिदान ,
“डाली” से बिछुड़कर भी हंसते-2 होता जग की खातिर कुर्बान ,
“इंसान” के जीवन का हर पल महकाने में लुटाता अपनी जान ,
बुझी ज्योति और मालिक के चरणों से उसका प्यार एक समान ,

“फूल” वो फूल नहीं जो अपनी महक दे न सके इस गुलशन को,
“सोना” वो “सोना” नहीं जो अपनी चमक दे न सके आभूषण को I

“राज” अनोखे फूल की पंखुड़ी से अपनी “कलम” को सजाता गया,
संकुचित राह से निकलकर इंसानियत की राह की ओर बढ़ता गया,
प्यार-मोहब्बत व अमन के पैगाम से “कलम” को रोशनी देता गया,
दूसरों की खुशियों में “जग के मालिक” की ख़ुशी को तलाशता गया ,

“फूल” वो “फूल” नहीं जो अपनी महक दे न सके इस गुलशन को ,
संत वो संत नहीं जो जन-2 में फैला न सके अमन व इंसानियत को I

******
देशराज “राज”

Language: Hindi
1 Like · 2136 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दुनिया  की बातों में न उलझा  कीजिए,
दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
करन ''केसरा''
आंखों में
आंखों में
Surinder blackpen
"जीत की कीमत"
Dr. Kishan tandon kranti
💐अज्ञात के प्रति-76💐
💐अज्ञात के प्रति-76💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भगतसिंह का आख़िरी खत
भगतसिंह का आख़िरी खत
Shekhar Chandra Mitra
कोई पूछे की ग़म है क्या?
कोई पूछे की ग़म है क्या?
Ranjana Verma
अपने होने का
अपने होने का
Dr fauzia Naseem shad
गुरु आसाराम बापू
गुरु आसाराम बापू
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पुकार
पुकार
Manu Vashistha
जीवन
जीवन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*छोड़ी पशु-हिंसा प्रथा, अग्रसेन जी धन्य (कुंडलिया)*
*छोड़ी पशु-हिंसा प्रथा, अग्रसेन जी धन्य (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सियासी बातें
सियासी बातें
Shriyansh Gupta
हम कवियों की पूँजी
हम कवियों की पूँजी
आकाश महेशपुरी
हिन्दी दोहा - दया
हिन्दी दोहा - दया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हिन्दी की गाथा क्यों गाते हो
हिन्दी की गाथा क्यों गाते हो
Anil chobisa
2576.पूर्णिका
2576.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
एक दिन का बचपन
एक दिन का बचपन
Kanchan Khanna
एक हमदर्द थी वो.........
एक हमदर्द थी वो.........
Aditya Prakash
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
रिश्ते , प्रेम , दोस्ती , लगाव ये दो तरफ़ा हों ऐसा कोई नियम
रिश्ते , प्रेम , दोस्ती , लगाव ये दो तरफ़ा हों ऐसा कोई नियम
Seema Verma
पेशावर की मस्जिद में
पेशावर की मस्जिद में
Satish Srijan
"ॐ नमः शिवाय"
Radhakishan R. Mundhra
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
Rejaul Karim
पत्र
पत्र
लक्ष्मी सिंह
कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये
कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
नेताजी का रक्तदान
नेताजी का रक्तदान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
Shashi kala vyas
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मन
मन
Sûrëkhâ Rãthí
योग इक्कीस जून को,
योग इक्कीस जून को,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...