फिलिस्तीन में बचपन
चलाओ तोप, गिराओ बम
बचपन से बेख़बर है
ये खिलोने तुम्हारे
शुक्रिया अजनबी चचा
जन्मदिन के तोहफ़े के लिए ।।
नही निकले है हम घरों
पटाखों की आवाज़ आती है हर जगह से
आग ही आग जल रही है
पत्थरों की बरसात हो रही है
हिल रही है धरती अपनी
हमारा झूला बन गयी है ।
खेलने देते नही
बाहर जाने देते नही
अम्मी मेरी गाली देती है तुम्हें
अब्बू नासूर कहते है तुम्हें
तुम मुझे अच्छे लगे
शुक्रिया तोहफ़े के लिए ।
तुम ना होते
हम घर मे हर वक्त बोर होते
पटाखों की आवाज़ सुनकर
पत्थरो की बारिश देखकर
मुुुह बनाकर रोती आंटी अंकल को देखकर
इस मनोरंजन के लिए
अजनबी अंकल शुक्रिया ।
घर के बाहर बिखरा है मलबा
उसमे दबा है रहीम का खिलौना
मैं छुपके से उठा लाऊंगी उसे
नही जरूरत है अब उसे
बुुुला लिया है अल्लाह ने सितारों से खेलने उसे ।
भैया ने बताया
तुम अल्लाह के पास भेजते हो
जो दिख जाए उसी को भेजते हो
कल चुुुपके से बाहर आऊँगी
अल्लाह के पास भेज देना मुझे
रहीम का खिलौना वापस करने जाऊंगी।