फिर से
यादों की खिड़कियों से
झांकने लगता है इंसान
अपने अतीत में
जी लेना चाहता है
फिर से
उन खूबसूरत लम्हों को
जिन्होने बनाया है
खूबसूरत यादों को
होकर कैद उनमें
अतीत के
उन मीठे अनुभव के साथ
बसकर जेहन में
जानता है इंसान
नहीं आते हैं लौटकर
गुजरे हुए खूबसूरत लम्हे
फिर से
संजोए रखना होता है
याद बन चुके इन लम्हों को
लौटने के लिए
ज़िंदगी की दुष्वारियों में
जीते हुए उस खूबसूरत
अहसास के साथ
फिर से………………………….