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3 May 2021 · 1 min read

फिर से खुशियाँ भरो

एक रोग के कहर से,
आँसूओ की लहर से,
दुनिया ग़मगीन हुई,
मौत के हर पहर से,

उखड़ रहीं हैं साँसे,
आकर रोग के झाँसे,
कैसे संभाले सबको,
उल्टे पड़े सब पांसे,

बढ़ती जा रहीं हैं चिंता,
देख देख जलती चिता,
कब थमेगा यह सिलसिला,
पूछ रहा हैं हर पिता,

घर-घर में ग़म पसरा,
है ! ईश्वर देख लो जरा,
बिछुड़ रहें नित अपने,
चिताओं से ढँकी धरा,

धीरे-धीरे टूट रहा संयम,
घनघोर घिरा है तम,
अपने साथ छोड़ रहें,
कब होगा खेल यह खत्म,

टूटती साँसों को लो थाम,
है ! मुरली वाले कृष्ण श्याम,
जन – जन की आँखों में आँसू,
कष्ट हरो दीन दुखियों के राम ,

इस विपदा को दूर करो,
है ! प्रभु सबके दुःख हरो,
आप सर्वशक्तिमान हो,
फिर से खुशियाँ भरो,
—जेपी लववंशी

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 351 Views
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