फिर बुझे दीप को रौशनी मिल गई
आज की हासिल
212/212/212/212
ग़ज़ल
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गीत को अब मेरे मौसिकी मिल गई
ग़म में भी अब मुझे हर खुशी मिल गई
मेरी महफिल की रौनक बढी़ आपसे
फिर बुझे दीप को रौशनी मिल गई
??
साथ तेरा मिला तो लगा ये मुझे
नीम जां को हसीं जिंदगी मिल गई
??
थाम के हाथ उसने कहा कान में
अब तुम्हें ये कली अधखिली मिल गई
??
चाहिए अब नही कुछ खुदा से मुझे
आइने को भी अब जिंदगी मिल गई
??
तल्खियों से डराओ न साहेब हमें
अब हमें मिश्री की इक डली मिल गई
??
जब हटाये वो चिलमन हसीं रुख से तो
शायरों ने कहा —- शायरी मिल गई
??
जब मिले वो मुझे फिर कहूं क्यूं भला
जिंदगी को मिरी बेबसी मिल गई
??
लाख शुकराना तेरा ऐ मेरे खुदा
जिंदगी बेटे को फिर नई मिल गई
??
रोज चूमा करूं मां के प्रीतम कदम
शक्ले मां में मुझे है परी मिल गई
??
प्रीतम राठौर
श्रावस्ती (उ०प्र०)
13/05/2017