फाग की आहट हुई है
गीतिका—-
छंद-मनोरम
समांत-ई
पदांत-है।
२१२२ २१२२ २१२२ २१२२
फाग की आहट हुई है,अब धरा दुल्हन बनी है।
कौन सुन्दर है ज़मीं पर, प्रकृति में अब यह ठनी है।।
सूर्य का भी तेज चमका,और’गगन कंचन हुआ है,
आ गया है वक्त ऐसा,रात भी फलने लगी है।
हर तरफ यौवन भरा है,और उपवन कांत है अब,
फूल भी खिलने लगे हैं,और टहनी पर कली है।
है थिरकती कोकिला भी, पेड़ की हर डाल पर अब,
और अमुआ डार पर भी, अब बहारों की झड़ी है।
मन चमन भी मोदमय है,अब मचलता वेग से है,
देखकर विचलित हुआ यह,आस इक दिल में जगी है।
??अटल मुरादाबादी✍️?