फागुन
फागुन
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फागुन आईल रे
हो फागुन आईल रे।
गली -गली में राग रंग
हर ओर उड़त बा गुलाल
फागुन भर- भर के लाईल
कुमकुम केसर के थाल
फागुन आईल रे
हो फागुन आईल रे।
ढोल मंजीरा बाज रहल बा
बाज रहल मृदंग
सजनी के सर चढ के बोले
आज सजन के रंग
फागुन आईल रे
हो फागुन आईल रे।
नजर- नजर में भरल खुमारी
मस्त मगन हर अंग
भंग छनत बा भर भर गगरी
मस्त भईल सरपंच
होली आईल रे
हो फागुन आईल रे।
घर, आंगन, चौपाल पे कईसन
होड़ मचलबा आज
आगे – आगे भागे ननदी
पीछे से भऊजाय
फागुन आईल रे
हो फागुन आईल रे।
कण-कण में गुंजत बा भईया
आज कृष्ण के नाम
मस्त हवाँ में मस्त भईलबा
सारा ई ब्रज धाम
फागुन आईल रे
हो फागुन आईल रे।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
4/2/2017