” फटा पुराना हमको दो , नया नया हम से ले लो ” !!
गली गली का फेरा है ,
द्वार द्वार पर टेरा है ।
गठरी है सिर कांधे पर ,
और धूप का डेरा है ।
मोल भाव जुबां मीठी ,
दिन भर खेल यही खेलो ।
दबा पेट दबे गाल हैं ,
चमचम सा हाथ माल है ।
पानी पी भूख मिटा लें ,
स्वाभिमान का सवाल है ।
कौन अब तरस खाए है –
दिन भर ही खुद को ठेलो ।।
राम राम कर दिन बीते ,
हैं सवाल सब अनचीते !
बोहनी हो जाये अच्छी ,
मिल जाएं हमें सुभीते !
उपरवाला है रहमदिल –
जितना मिले वही ले लो !!
बृज व्यास