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12 Nov 2017 · 1 min read

पढ़ने की ललक हम भी लियें हुये! राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर एक कविता बाल मन को प्रदर्शित करती हुई।

मन भोला भाला लिये
हाथ में झोला लिये हुये

मुट्ठी में अपने जँहा लिये
आँखों में सपने सजाये हुये

ख्वाबो को सच करने की चाहत में
पढ़ाई में दिन-रात एक किये हुये

बुजुर्गो के आशीष की कामना हैं रखते
ऐसे ही अपने चमन में फले-फूलते हुये

गरीब हैं हम,थोड़ा सा ध्यान दीजिये
पढ़ने की ललक हम भी लिये हुये

नही हैं पैसे पास में,ना ही खाने को
परिस्थियों,भूख के हैं हम मारे हुये

जाते हैं कमाने हम पढ़ने के उम्र में
माँ-बाबा के हालात को देखते हुये

कुछ करने का जज़्बा भी रखते हैं
मौके मिले तो हम भी आसमाँ छुये!!

®आकिब जावेद

Language: Hindi
602 Views
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