Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2017 · 3 min read

**** प्रोफेशनल कोर्स में प्रवेश ****

सर ! आपका संस्थान का प्रोफेशनल कोर्स में प्रवेश यह विज्ञापन पढ़ा है | आप प्रबंधन , फोटोग्राफी , मल्टीमीडिया ,
साफ्टवेअर , हार्डवेअर , पत्रकारिता , फैशन , कॉल सेंटर आदि विभिन्न प्रकार के कोर्स में दाखिला देते है | जया ने सवाल किया |

स्वागतकक्ष से एक सुन्दर वाकपटुता ने संस्थान का परिचय देते हुए कहा हमारा संस्थान प्रोफेशनल कोर्स में अग्रणी है |
नए – नए कोर्स है , रोजगार की १०० प्रतिशत ग्यारंटी है जी | आपको इंटरशिप , ट्रेनिंग , शिविर , शैक्षणिक यात्राएं
एव सुसज्जित लेब , लायब्रेरी सभी उपलब्ध है | बस आप प्रवेश लीजिये जी |

जया मन में सोच रही थी की संस्थान का भव्य ऑफिस , कोर्स की रंगबिरंगी जानकारि पूस्तिका कलर पेपर में ऑफिस के
हर टेबल पर एलसीडी , कंप्यूटर लगे हुए है | इन्टरनेट ब्राड बैंड कनेक्शन से सज्ज |

जया ने संस्था में दाखिला लिया | दाखिला के साथ ही फॉर्म एव जानकारी पुस्तिका के रुपये १००० की रशीद हाथ में दी गयी |
जया को लगा इतनी बड़ी संस्था है , फॉर्म के रुपये देना ही है |

संस्थान के जानकारी पुस्तिका में सभी कोर्स की फीस भी सर्वसाधारण आम आदमी की हैसियत से ज्यादा थी |
जया भी मध्यम परिवार से थी | लेकिन कोर्स करते ही १०० प्रतिशत रोजगार ग्यारंटी यह कारण से आकर्षित
थी | एक बार रोजगार मिल जाये तो मैं भी अपने पैरो पर खड़ी हो सकती हु , लड़की हु तो क्या हुआ ?

माता-पिता की परस्शिति नहीं होने के बावजूद जया ने संस्थान में प्रवेश लिया | फिर सिलसिला शुरू हुआ
इंटरशिप के पैसे भरो , ट्रेनिंग के पैसे भरो , शैक्षणिक यात्राएं के पैसे भरो और हर महीने कोर्स फ़ीस जमा करना अनिवार्य |
जया को रुपये देते – देते दिन में तारे नजर आने लगे |

संस्थान की अव्यवस्थाएं देखकर तो किसको क्या बताना यही समझ के बहार था | क्योंकी जो जानकारी
पुस्तिका में था उसके विपरीत सबकुछ था | ना बैठने की व्यवस्थाएं थी , ना पीने की पानी की व्यवस्था इसी से
अंदाजा लगाया जा सकता है की लेब व् लायब्रेरी हो सकती है ? ना सबंधित विषयो के शिक्षकगण |

जया को परीक्षा में बैठने का प्रवेश पत्र आया | दूसरे ही दिन संस्थान को रोख लगा दी गयी की संस्थान
को मान्यता नहीं है | सभी परीक्षार्थी को परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाता है | जिसमे जया का भी नाम था |
सुनते ही जया को चक्कर आने लगे | माता-पिता ने मार्केट से रुपये उधार लिए है उसका क्या होगा | दूसरे
छात्र -छात्राये परेशांन नजर आ रहे थे | लेकिन बड़े घर के छात्र – छात्राये ज्यादा चिंतित नजर नही आ रहे थे
उनको जानकारी थी की और ज्यादा रूपये देकर हमें तो परीक्षा में बैठमे से वंचित नहीं कर सकते है |

जया को लुभावने व्यावसायिक कोर्स की ठगी की ठोकर लग गयी थी | उसे ‘ नए ज़माने के नए कोर्स का
जोर का झटका धीरे से लगे ‘ यह कहावत याद आने लगी | जया सबको बताने लगी , संस्थान की
सम्पूर्ण जानकारी ले लो | फीस सवलत आदि जानकारी अवश्य ले | संस्थान मान्यता प्राप्त , संलग्नता है
या नहीं यह देख लेना आवश्यक है |

मैं तो व्यवसाहिक कोर्स से ठग गयी लेकिन दूसरे को भी ठगी का शिकार नहीं होने दूँगी यह निर्णय लेकर
वह मिडिया के पास गयी | कैसे पुरे साल पढने – पढ़ाने के बाद परीक्षा निकट आते ही बिना कारण बताये
छत्रो का प्रवेश पत्र रोख लिया जाता है | कारण , वही मनमानी वसूली | धन मिलने पर ही प्रवेश पत्र
दिया जाता है | कारण कक्षा में कम उपस्स्थिति बताने जैसा घिसापिटा बहाना ही बताया एव मेडिकल
सर्टिफिकेट लगाना बताना इस प्रकार की ब्लैक मेलिंग सक्ति से चलती है | जया ने जोर देकर कहा
दोस्तों प्रोफेशनल कोर्स में प्रवेश लेने से पहले रहे सावधान | और शिकायत दर्ज करने से पीछे भी नहीं रहे |
०००
– राजू गजभिये
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र , बदनावर जिला धार ( मध्य प्रदेश )

Language: Hindi
573 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*रियासत रामपुर और राजा रामसिंह : कुछ प्रश्न*
*रियासत रामपुर और राजा रामसिंह : कुछ प्रश्न*
Ravi Prakash
कौशल
कौशल
Dinesh Kumar Gangwar
■ नई महाभारत..
■ नई महाभारत..
*Author प्रणय प्रभात*
किस्मत का लिखा होता है किसी से इत्तेफाकन मिलना या किसी से अच
किस्मत का लिखा होता है किसी से इत्तेफाकन मिलना या किसी से अच
पूर्वार्थ
हिन्दी दोहा - स्वागत
हिन्दी दोहा - स्वागत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जिंदगी के कुछ चैप्टर ऐसे होते हैं,
जिंदगी के कुछ चैप्टर ऐसे होते हैं,
Vishal babu (vishu)
23/21.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/21.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हावी दिलो-दिमाग़ पर, आज अनेकों रोग
हावी दिलो-दिमाग़ पर, आज अनेकों रोग
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
'अ' अनार से
'अ' अनार से
Dr. Kishan tandon kranti
राह नीर की छोड़
राह नीर की छोड़
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
*बाल गीत (पागल हाथी )*
*बाल गीत (पागल हाथी )*
Rituraj shivem verma
*वो खफ़ा  हम  से इस कदर*
*वो खफ़ा हम से इस कदर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्यार हुआ कैसे और क्यूं
प्यार हुआ कैसे और क्यूं
Parvat Singh Rajput
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
🚩अमर कोंच-इतिहास
🚩अमर कोंच-इतिहास
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
* कुछ पता चलता नहीं *
* कुछ पता चलता नहीं *
surenderpal vaidya
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी "अश्क " बहाए होगे..?
Sandeep Mishra
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरु रुष्टे न कश्चन:।गुरुस्त्राता ग
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरु रुष्टे न कश्चन:।गुरुस्त्राता ग
Shashi kala vyas
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
माँ शारदे
माँ शारदे
Bodhisatva kastooriya
मिलेगा हमको क्या तुमसे, प्यार अगर हम करें
मिलेगा हमको क्या तुमसे, प्यार अगर हम करें
gurudeenverma198
शायर जानता है
शायर जानता है
Nanki Patre
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
Shweta Soni
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
DrLakshman Jha Parimal
चंद्रयान विश्व कीर्तिमान
चंद्रयान विश्व कीर्तिमान
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पर्यावरण
पर्यावरण
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जब हम छोटे से बच्चे थे।
जब हम छोटे से बच्चे थे।
लक्ष्मी सिंह
When you realize that you are the only one who can lift your
When you realize that you are the only one who can lift your
Manisha Manjari
Loading...