प्रेम शिकारी
प्रेम-शिकारी आ गए चाहत का मौसम आ गया
प्रेम के लुटेरे आ गए चाहत का मौसम आ गया
संभल जाओ, दिलवालों, आई रुत प्यार करने की
चित्चोर परिन्दे आ गए सावन का महीना आ गया
प्यार कर लो है,अभी कर लो, , यहीं गले मिल लो
प्रेम के करिंदे आ गए मस्ताना मौसम आ गया
संवर जाओ,समझ जाओ,परख जाओ,संभल जाओ
दिल छलने वाले आ गए सुहाना मौसम आ गया
खाएंं होगें, बहुत धोखे, यहाँ अपनों – बेगानों से
प्रेम सौदागर आ गए मतवाला मौसम आ गया
हसीं पलहैं ,हंसी पल हैं ,भौंरे बैठे हैं फूलों पर
भँवरे मँडराने आ गए रसीला का मौसम आ गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत