Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2020 · 1 min read

प्रेम रागी मरता नहीं

**प्रेम रागी मरता नही**
******************

दिल है जो मानता नहीं
वक्त को पहचानता नहीं

प्यार में डूबा रहता है
कुछ भी है जानता नहीं

ख्यालों में खोया रहता
होश में वो आता नहीं

सभी को वह भूल जाए
दुनिया को जानता नहीं

चाँद तारों से बातें करे
वसुधा पर ठहरता नहीं

गुमसुम खोया रहता है
कभी मुस्कराता नहीं

भूखा प्यासा पड़ा रहे
कहीं भी खा पाता नहीं

प्रेम प्रीत बहुत रंगीली
बदरंग कभी होता नहीं

सुखविंद्र भी प्रेम रोगी
प्रेम रागी मरता नहीं

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 230 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गैरों से क्या गिला करूं है अपनों से गिला
गैरों से क्या गिला करूं है अपनों से गिला
Ajad Mandori
"सोचिए जरा"
Dr. Kishan tandon kranti
बस यूं ही
बस यूं ही
MSW Sunil SainiCENA
रुपयों लदा पेड़ जो होता ,
रुपयों लदा पेड़ जो होता ,
Vedha Singh
मुझे पता है।
मुझे पता है।
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
" मुशाफिर हूँ "
Pushpraj Anant
2967.*पूर्णिका*
2967.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*आम आदमी क्या कर लेगा, जब चाहे दुत्कारो (मुक्तक)*
*आम आदमी क्या कर लेगा, जब चाहे दुत्कारो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सोई गहरी नींदों में
सोई गहरी नींदों में
Anju ( Ojhal )
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
shabina. Naaz
प्रेम में डूबे रहो
प्रेम में डूबे रहो
Sangeeta Beniwal
मेरा जीवन बसर नहीं होता।
मेरा जीवन बसर नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
याद
याद
Kanchan Khanna
#हिंदी_मुक्तक-
#हिंदी_मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
लिखने – पढ़ने का उद्देश्य/ musafir baitha
लिखने – पढ़ने का उद्देश्य/ musafir baitha
Dr MusafiR BaithA
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
श्याम सिंह बिष्ट
गूढ़ बात~
गूढ़ बात~
दिनेश एल० "जैहिंद"
रमेशराज के दो लोकगीत –
रमेशराज के दो लोकगीत –
कवि रमेशराज
रोशनी की भीख
रोशनी की भीख
Shekhar Chandra Mitra
रक्षाबंधन का त्यौहार
रक्षाबंधन का त्यौहार
Ram Krishan Rastogi
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
Writer_ermkumar
फितरत आपकी जैसी भी हो
फितरत आपकी जैसी भी हो
Arjun Bhaskar
ज़ेहन से
ज़ेहन से
हिमांशु Kulshrestha
गुमनाम ज़िन्दगी
गुमनाम ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
" तुम्हारी जुदाई में "
Aarti sirsat
इतने सालों बाद भी हम तुम्हें भूला न सके।
इतने सालों बाद भी हम तुम्हें भूला न सके।
लक्ष्मी सिंह
R J Meditation Centre, Darbhanga
R J Meditation Centre, Darbhanga
Ravikesh Jha
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
काला न्याय
काला न्याय
Anil chobisa
"राखी के धागे"
Ekta chitrangini
Loading...