Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2017 · 4 min read

प्रेम में पीएचडी

एक छोटी सी लम्बी कहानी ” प्रेम में पीएचडी ”

वर्ष २००७ की जुलाई माह का प्रथम दिन था और सोहित पहली बार अपने गाँव के स्कूल से बाहर पढने जा रहा था, उसने वीणागंज के इन्टर कॉलेज में ११वीं कक्षा में प्रवेश लिया था पास में लड़कियों का कॉलेज भी था | जैसे ही अपने दोस्तों के साथ बस में चढ़ते हुए देखा कि सुनैना के साथ कोई नयी लड़की भी बस में चढ़ रही थी |

पहली बार देखा था इस लड़की को अपने गाँव में और देखते ही अपना दिल खो बैठा सोहित | सोहित ने सुनैना से बात शुरू की तो पता लगा वो आरती थी, और गाँव की ही थी, अब तक अपने चाचा जी के पास रहकर पढ़ रही थी | सुनैना ने बताया की अब ये यही पढेगी | ये सुनकर सोहित को कुछ राहत हुई , कि चलो अब यही रहेगी, वरना चाचा जी के पास रहने की बात सुनके तो दिल ही बैठने लगा था | इस तरह ये पहली मुलाकात थी आरती और सोहित की |

सोहित तो उसको देखते ही दीवाना हो गया था | आरती देखने में कोई हूर परी तो नहीं थी, ऊँचाई सामान्य से थोड़ी सी कम थी, गोरा रंग, थोड़ी कमजोर सी थी, लेकिन उसकी हंसी बहुत प्यारी थी | जब वो हंसकर बात करती थी तो दिल खुश हो जाता था | तो इस तरह शुरू हुई एक अनजान सी प्रेम कहानी |

यूँ तो कॉलेज की क्लासेज ५वे पीरियड के बाद ही ख़तम हो जाती थी, क्योकि बच्चे सब अपने घरों को निकल जाते थे, किन्तु सोहित छुट्टी होने का इन्तजार करता, आरती से मिलने और बात करने के लिए, एक ही बस में साथ जाने के लिए | बस अड्डे पर बहुत भीड़ होती थी, क्योकि कई स्कूलों की छुट्टी एक साथ होती थी | सोहित बस में जल्दी से चढ़कर अपने साथ एक सीट आरती के लिए भी लेने की कोशिश करता था , अगर कभी सिर्फ एक सीट मिलती तो, वो आरती को बैठा दिया करता था | सोहित दिल ही दिल में आरती को चाहने लगा था , किन्तु कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था |

इसी क्रम में सोहित की मित्रता आरती के पडोस में रहने वाले सौरभ से हो गयी, सोहित इस बात से अनजान था कि सौरभ , आरती का मुहबोला भाई है | जब सोहित को इस बात का पता लगा तो वो अपने दिल की बात बताने के में और भी हिचकिचाने लगा | समय धीरे धीरे बीतने लगा | सोहित वैसे ही संकोची स्वभाव का था, उस पर आरती के मुहबोले भाई से दोस्ती ने और संकोची बना दिया | कब दो साल बीत गए पता ही नहीं लगा , १२वीं की परीक्षा हो गयी और अब मिलने और बात करने की संभावना ख़तम हो गयी |

हाँ हर मंगलवार को वो सौरभ के साथ हनुमान जी के मंदिर में प्रसाद चढाने अवश्य आती थी | और मंदिर सोहित के घर के ही पास था | अब सोहित बड़ी ही बेसब्री से मंगलवार का इन्तजार करता था , बस उसकी एक झलक पाने के लिए | साल में एक बार होली पर सोहित एक बार उसके घर होली खेलने ज़रूर जाता था | पता नहीं वो अनजान थी सोहित के भावनाओं से या अनजान होने का नाटक करती थी | रिजल्ट आया सोहित इन्टर में फेल हो गया था , और वो पास हो गयी | वो फिर से आगे की पढाई करने के लिए अपने चाचा जी के पास शहर चली गयी | मिलने का आसरा भी ख़तम हो गया |

जब कभी वो घर आती , तो मंगलवार सोहित के लिए खुशियाँ लेकर आता | वो घर आती, मंगलवार आता, वो मंदिर आती, चली जाती | और सोहित अपने मन की बात कह ही नहीं पाता | अब दो सोहित के मित्र भी कहने लगे कि सोहित तो लगता है प्यार में पीएचडी कर रहा है, और उसको सभी डॉ. सोहित कहने लगे थे | न जाने कितने मंगलवार आये, कितनी होलियाँ आई, लेकिन सोहित के मन की बात सोहित के मन ही में रही | इस तरह ५ साल बीत गए लेकिन सोहित अपने दिल की बात नहीं कह पाया |

एक रोज सोहित ने ठान लिया कि आज तो मैं अपने मन की बात कह के ही रहूँगा | और अपने दोस्त के पीसीओ से आरती के पड़ोस में फ़ोन लगाया क्योकि आरती के घर पर फ़ोन नहीं था, और उसको वहां बुला लिया | और भूमिका बाँधने के बाद बहुत साहस बटोरकर आखिरकार आने दिल की बात बोल ही दी | आरती ने कुछ नहीं कहा , पूरी बात ध्यान से सुनती रही और अंत में सिर्फ इतना ही बोली , “सोहित तुमने बहुत देर कर दी, अगले महीने मेरी शादी है |”

इस तरह सोहित ने अपने प्यार की पीएचडी की थीसिस पूरी कर ली थी जो की रिजेक्ट कर दी गयी थी |मगर दोंस्तों ने तो डॉ. सोहित नाम दे ही दिया था |

बस इतनी सी थी प्रेम में पीएचडी की लम्बी सी छोटी कहानी |

“सन्दीप कुमार”

Language: Hindi
763 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमारा अपना........ जीवन
हमारा अपना........ जीवन
Neeraj Agarwal
वाणी वंदना
वाणी वंदना
Dr Archana Gupta
मैं जान लेना चाहता हूँ
मैं जान लेना चाहता हूँ
Ajeet Malviya Lalit
जिंदगी भर हमारा साथ रहे जरूरी तो नहीं,
जिंदगी भर हमारा साथ रहे जरूरी तो नहीं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
भुनेश्वर सिन्हा कांग्रेस नेता छत्तीसगढ़ । Bhuneshwar sinha politician chattisgarh
भुनेश्वर सिन्हा कांग्रेस नेता छत्तीसगढ़ । Bhuneshwar sinha politician chattisgarh
Bhuneshwar sinha
चंद्रयान-3 / (समकालीन कविता)
चंद्रयान-3 / (समकालीन कविता)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
सियासी बातें
सियासी बातें
Shriyansh Gupta
औरों की तरह हर्फ़ नहीं हैं अपना;
औरों की तरह हर्फ़ नहीं हैं अपना;
manjula chauhan
2670.*पूर्णिका*
2670.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम
प्रेम
पंकज कुमार कर्ण
मारे जाओगे
मारे जाओगे
Shekhar Chandra Mitra
'ण' माने कुच्छ नहीं
'ण' माने कुच्छ नहीं
Satish Srijan
उड़ कर बहुत उड़े
उड़ कर बहुत उड़े
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
■ सबसे ज़रूरी।
■ सबसे ज़रूरी।
*Author प्रणय प्रभात*
चुप
चुप
Ajay Mishra
लार्जर देन लाइफ होने लगे हैं हिंदी फिल्मों के खलनायक -आलेख
लार्जर देन लाइफ होने लगे हैं हिंदी फिल्मों के खलनायक -आलेख
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*वृद्ध-आश्रम : आठ दोहे*
*वृद्ध-आश्रम : आठ दोहे*
Ravi Prakash
" मित्रता का सम्मान “
DrLakshman Jha Parimal
हर कदम प्यासा रहा...,
हर कदम प्यासा रहा...,
Priya princess panwar
छोड़ जाएंगे
छोड़ जाएंगे
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
एहसास पर लिखे अशआर
एहसास पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
Canine Friends
Canine Friends
Dhriti Mishra
💐प्रेम कौतुक-460💐
💐प्रेम कौतुक-460💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
धर्म बनाम धर्मान्ध
धर्म बनाम धर्मान्ध
Ramswaroop Dinkar
दिल की गुज़ारिश
दिल की गुज़ारिश
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
******
******" दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर रोज वहीं सब किस्से हैं
हर रोज वहीं सब किस्से हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
बेशक हुआ इस हुस्न पर दीदार आपका।
बेशक हुआ इस हुस्न पर दीदार आपका।
Phool gufran
~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~
Hanuman Ramawat
ਪਰਹੇਜ਼ ਕਰਨਾ ਸੀ
ਪਰਹੇਜ਼ ਕਰਨਾ ਸੀ
Surinder blackpen
Loading...