अमर प्रेम
जमीन और आसमान
खामोश गवाह है
उस शुरुआत का
जिसकी एक कड़ी
तुम भी थे
और मैं भी हूँ ।
कुछ किस्से इनसे
पूछ कर देखो
कुछ किस्से इनसे
सुनकर देखो
उस समय से
जिसकी कठपुतली
तुम भी थे
और मैं भी हूँ ।
पूछो इस हवा से
और मौसम से
जिसमें उड़ता हुआ
एक तिनका
मैं भी हूँ
और तुम भी थे ।
हम मिले थे
हम मिलेंगे
खुशबु और फूल की तरह
जल और बूँद की तरह
कण और धुल की तरह
क्योकि
इस नियति की
एक पहेली मैं भी हूँ
और तुम भी हो……..