Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2017 · 1 min read

प्रेम जीवन धन गया

बुढ़ापा अनुभव से सीखा, हँसा ज्ञानी बन गया |
नहीं समझा, भ्रमित हो, माया में निश्चय सन गया |
सीख लेते वही जन ,नायक बनें “नायक बृजेश”|
जो न सँभले,दुख में डूबे, प्रेम जीवन धन गया |

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

Language: Hindi
507 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak
View all
You may also like:
फ़र्ज़ ...
फ़र्ज़ ...
Shaily
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रास्तों पर चलने वालों को ही,
रास्तों पर चलने वालों को ही,
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
असर-ए-इश्क़ कुछ यूँ है सनम,
असर-ए-इश्क़ कुछ यूँ है सनम,
Amber Srivastava
हर मुश्किल से घिरा हुआ था, ना तुमसे कोई दूरी थी
हर मुश्किल से घिरा हुआ था, ना तुमसे कोई दूरी थी
Er.Navaneet R Shandily
"छोटी चीजें"
Dr. Kishan tandon kranti
"Let us harness the power of unity, innovation, and compassi
Rahul Singh
आँसू
आँसू
जगदीश लववंशी
आप जरा सा समझिए साहब
आप जरा सा समझिए साहब
शेखर सिंह
गिरगिट को भी अब मात
गिरगिट को भी अब मात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
******** प्रेरणा-गीत *******
******** प्रेरणा-गीत *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं तो महज शराब हूँ
मैं तो महज शराब हूँ
VINOD CHAUHAN
फितरत
फितरत
Mamta Rani
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
Suraj kushwaha
पोथी- पुस्तक
पोथी- पुस्तक
Dr Nisha nandini Bhartiya
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
Dushyant Kumar Patel
"Guidance of Mother Nature"
Manisha Manjari
मैं उसके इंतजार में नहीं रहता हूं
मैं उसके इंतजार में नहीं रहता हूं
कवि दीपक बवेजा
शिकारी संस्कृति के
शिकारी संस्कृति के
Sanjay ' शून्य'
*मतदान-त्यौहार 【कुंडलिया】*
*मतदान-त्यौहार 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
पैगाम
पैगाम
Shashi kala vyas
2313.
2313.
Dr.Khedu Bharti
आजादी विचारों से होनी चाहिये
आजादी विचारों से होनी चाहिये
Radhakishan R. Mundhra
महायोद्धा टंट्या भील के पदचिन्हों पर चलकर महेंद्र सिंह कन्नौज बने मुफलिसी आवाम की आवाज: राकेश देवडे़ बिरसावादी
महायोद्धा टंट्या भील के पदचिन्हों पर चलकर महेंद्र सिंह कन्नौज बने मुफलिसी आवाम की आवाज: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
The_dk_poetry
इन रावणों को कौन मारेगा?
इन रावणों को कौन मारेगा?
कवि रमेशराज
खूबसूरती
खूबसूरती
RAKESH RAKESH
अपना भी एक घर होता,
अपना भी एक घर होता,
Shweta Soni
■ आज की बात...
■ आज की बात...
*Author प्रणय प्रभात*
संध्या वंदन कीजिए,
संध्या वंदन कीजिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...