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19 Sep 2019 · 1 min read

प्रेम गीत

गीत प्रेम का हम गुनगनाने लगे हैं
जब से देखा तुमको चाहने लगे है

अब से पहले जिंदगी में बेफिक्र थे
तुम्हें पाने के फिक्र सताने लगे है

घोड़े बेचकर हम सो जाया करते थे
जागती आँखों में ख्वाब आने लगे है

दोस्तों की दोस्ती में खूब मशगूल थे
अब दोस्तों के उलाहने आने लगे हैं

कोलेज में बहुत कम जाया करते थे
छुट्टी के दिन भी कोलेज जाने लगे हैं

शब्द परिणय से भी परहेज करते थे
स्वप्न शादी के नैनों में सजाने लगे हैं

फुरसत लम्हों में खूब मौजें करते थे
हर लम्हा क्षण तुम याद आने लगे हैं

जिंदगी पहले मेरी कोरी किताब थीं
प्रेम रंगों के सबरंग अब चढने लगे हैं

सूरत ही नहीं तेरी सीरत का मरीद हूँ
तस्वीर तेरी के रंग अब छाने लगे हैं

जीना नहीं अब गवारा है तेरे बिन
तुम्हें खो देने के डर सताने लगे हैं

गीत प्रेम का हम गुनगनाने लगे हैं
जब से देखा तुमको चाहने लगे हैं

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
324 Views
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