Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2020 · 3 min read

‘प्रेम की होली ‘

न आलोचक हूं, न पाठक हूं, न साहित्यकार हूं और न ही रचनाकार हूं ।
मैं अनुभव का साधारण सा विद्यार्थी हूं और मैं लोगों की तरह सबके सम्मुख प्रेम रूपी भण्डार को अथवा प्रेम शब्द के तात्पर्य को दर्शाना चाहता हूं ।
प्रेम क्या हैं ? हम अपनें भाई – बन्धु , नाते – रिश्तदार , मित्र सभी से तो प्रेम करते हैं, प्रेम तो वह प्रसाद व समन्दर हैं, जिससे जितना ही बाटो उतना ही विकसित होता रहता है । अगर कोई व्यक्ति कुरूप है और उसके प्रेम रूपी रत्न है तो वह हर एक व्यक्ति की नजरों में खूबसूरत है ।
इस समय होली का पर्व भी है जो प्रेम का पर्व माना जाता है ,होली वह पर्व है जिसमें मनुष्य के बीच की सारी भेदक दीवार टूट जाती है और मनुष्य केवल मनुष्य रह जाता हैं ।
आज की दुनिया में अगर किसी चीज का अभाव व कमी है तो वह है पवित्र प्रेम ,प्रेम की कोई सीमा नहीं है। इस पर बहुत ही चर्चाएं हुई है बल्कि होती रही है जैसे – आजकल नेताओं की चर्चाएं होती है। मैं यहां स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि प्रेम का अर्थ सिर्फ युवक , युवती के बीच पैदा होने वाला आकर्षण ही नहीं, अपितु प्रेम तो वह है जो अपने परिवार के हर सदस्य के लिए उमड़ता है । प्रेम – गीता,कुरान की बातें पवित्र है प्रेम वासना नहीं है प्रेम तो वह फूल है जो मुरझाने के बाद भी महकता है प्रेम का कोई एक रूप नहीं है वह सातों रंगों की तरह ही बिखरा हैं ।

प्रेम आदर व सम्मान देने वाले व्यक्ति में परम परमेश्वर विष्णुजी का वास होता है । उसके वाणी से फूलों की रिमझिम बरसात होती है । आज के इस भाग दौड़ में धन दौलत की कोई कमी नहीं है, पर शायद व्यतित प्रेम रूपी सुख से वंचित है । वह रुपयों में से आ जा रहा है और मै प्रेम रूपी जल में स्नान कर रहा हूं, इस स्नेह प्रेम रूपी निरझर जल की लहरें उस आसान व्यक्ति के निकट तक जाती हैं पर वह अपने धुन में उस प्रेम की गठरी से अनजान रहता हैं ।

प्रेम एक उन्मुक्त अनुभूति हैं जिसे सभी नहीं पा सकते हैं, उदाहरण के रूप में एक वृक्ष को ही लें लीजिए इसका प्रेम व स्वभाव परमार्थी है जो अपने द्वारा उत्पन्न किये हुए फलों व फूलों को चख नहीं सकता अपनी छाया की निर्मल शान्ति वह खुद नहीं पाता बल्कि दूसरों पर न्यौछावर करता है , उसका प्रेम अनन्त हैं पर आज के व्यक्तियों का प्रेम स्वार्थमय हैं वें प्रेम की आड़ में अपना स्वार्थ निकालते है , क्या ऐसा प्रेम सही है ?
आज हमारे दिलों दिमाग में आपसी प्रेम , ईर्ष्या और क्रोध , मद, वासना का स्थान हो गया है। जबकि हमें प्रत्येक व्यक्ति व वस्तु में प्रेम का ही रूप देखना चाहिए ।

प्रेम तो इतिहास की गरिमा व गौरव है जो इतिहास में वर्णित है। प्रेम की कहानी अनेक ही कहानी है , जिंदगी के हर पहलू को समझने के लिए प्रेम का होना आवश्यक हैं ।
होली भी उसी पुनीत प्रेम का प्रतीक हैं, होली जन – जन को एक रेखा में गूंथ देनेवाली है , कुछ लोग इस पवित्र त्यौहार की गरिमा को नष्ट करते है।
इस पुनीत पर्व पर इस दुर्व्यवहार को हमें रोकना चाहिए।
इस अंधकार समाज में प्रेम का प्रकाश होना जरूरी है , किसी व्यक्ति का स्वभाव , व्यवहार , आचरण, संस्कार , परिष्कृत है जो उससे प्रेम एक नजर में हो जाता है ।
वैसे मेरा जन्मदिवस होली के त्यौहार पर ही हुआ था किन्तु दिनांक 9 मार्च था , इसीलिए प्रेम रूपी इस त्यौहार को आत्मसात करने की कोशिश करते रहते हैं।
अन्त में मैं प्रेम की होली में इन खूबसूरत शब्दों की व्याख्या भक्ति और शक्ति से सम्पन्न करता हूं….

होली की अशेष शुभकामनाएं…

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 454 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सारे  ज़माने  बीत  गये
सारे ज़माने बीत गये
shabina. Naaz
तनिक लगे न दिमाग़ पर,
तनिक लगे न दिमाग़ पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
लोकतंत्र
लोकतंत्र
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
जिंदगी बहुत प्यार, करता हूँ मैं तुमको
जिंदगी बहुत प्यार, करता हूँ मैं तुमको
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
मित्र
मित्र
लक्ष्मी सिंह
#शिवाजी_के_अल्फाज़
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
3149.*पूर्णिका*
3149.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
श्रद्धा के सुमन ले के आया तेरे चरणों में
श्रद्धा के सुमन ले के आया तेरे चरणों में
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चन्द्रयान 3
चन्द्रयान 3
डिजेन्द्र कुर्रे
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विपरीत परिस्थिति को चुनौती मान कर
विपरीत परिस्थिति को चुनौती मान कर
Paras Nath Jha
कम कमाना कम ही खाना, कम बचाना दोस्तो!
कम कमाना कम ही खाना, कम बचाना दोस्तो!
सत्य कुमार प्रेमी
.
.
Amulyaa Ratan
आओ एक गीत लिखते है।
आओ एक गीत लिखते है।
PRATIK JANGID
बम
बम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
■ खोज-बीन...
■ खोज-बीन...
*Author प्रणय प्रभात*
****शिक्षक****
****शिक्षक****
Kavita Chouhan
तू तो होगी नहीं....!!!
तू तो होगी नहीं....!!!
Kanchan Khanna
भले नफ़रत हो पर हम प्यार का मौसम समझते हैं.
भले नफ़रत हो पर हम प्यार का मौसम समझते हैं.
Slok maurya "umang"
बहता पानी
बहता पानी
साहिल
कैसे- कैसे नींद में,
कैसे- कैसे नींद में,
sushil sarna
विकृत संस्कार पनपती बीज
विकृत संस्कार पनपती बीज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Dear  Black cat 🐱
Dear Black cat 🐱
Otteri Selvakumar
"खिलाफत"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हें प्यार करते हैं
तुम्हें प्यार करते हैं
Mukesh Kumar Sonkar
रेत और जीवन एक समान हैं
रेत और जीवन एक समान हैं
राजेंद्र तिवारी
नारी पुरुष
नारी पुरुष
Neeraj Agarwal
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
डॉक्टर रागिनी
Loading...