Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2021 · 2 min read

‘प्रेम की राह पर-1 मेरे उपन्यास से।

तुम ऑनलाइन आकर ऐसे शरमाती हो,जैसे ससुर के कमरे में घुस रही हो और पर्दा डालकर ऐसी हो जाती हो जैसे मुझे कोई देख नहीं रहा है”
द्विवेदीजी की लाली-(लाल सिंह से)तुम,हे मायावी पुरुष, झण्ड बहुत उड़ाते हो। हूँ।क्यों।बताओगे।
लाल सिंह-अब सुनो ध्यान लगाकर सुनना, हे देवी(द्विवेदीजी की लाली से)इस झण्ड का प्राचीन इतिहास है।बहुत अधिक बताने से तो कोई लाभ नहीं है, संक्षेप से बताएंगे, क्यों कि सार गर्भित लिखने पर ही संघलोक सेवा आयोग भी अच्छे नम्बर देता है।अग़र नहीं लिखा तो तुम्हारी उड़ा देगा झण्ड। और इसके बाद नंबर नहीं आया तो यह समाज,आस पड़ोसी, अध्यापक सभी मिलकर महाझण्ड उड़ाते हैं।और विशेषकर सामने वाली चाची जो अँगूठा टेक हैं, फिर भी बिना झण्ड के बात ही नहीं करती हैं।क्यों?कह ही देती ही लाला तुमसे ना हो पायेगा।क्यों कि तुम्हारी झण्ड उड़ चुकी है।खैर छोडो संघ लोक सेवा आयोग हिन्दी माध्यम वालों की तो हर साल झण्ड उड़ाता है।क्यों कि ऐसे लोग पेपर सेट करते जिनकी बीबीयाँ झण्ड उड़ाकर भेजती हैं।।तो फिर वह भी सोचते हैं कि साला अपुन भी खिसियाके अभ्यर्थी की झण्ड उडाएगा।तो बेचारे ग़रीब अभ्यर्थी की झंड तो उड़ गई न। पहले प्रश्न पर झण्ड दूसरे पर झण्ड,और झण्ड का क्रम सौं वे प्रश्न तक उड़ता है।उसकी महा झण्ड तब उड़ जाती है जब आंसरकी झण्ड उड़ाऊंगी तेरी झण्ड उड़ाऊंगी कहते हुए उसके हाथ में आ जाती है।उसके एक दो आँसू निकलते हैं झण्ड उड़ाते हुए।वह भी रुमाल से पोंछ लेता है। झण्ड उड़ाते हुए वह सोचता है कि कोई बात नहीं अबकी बार झण्ड में आ लगाकर झण्डा गढूँगा और झण्ड की झण्ड उड़ा दूँगा। तो यहहै झण्ड की वर्तमान यात्रा का परिदृश्य। और रही सही झण्ड द्विवेदीजी की लाली उड़ा रही है हाँ हाँ तुम्ही। द्विवेदीजी की लाली-अरे लाल सिंह,झण्ड के इतिहास पर प्रकाश डालो। लाल सिंह-हैं। तुम्हे बड़ा मजा आ रहा है झण्ड का इतिहास जानने में।
लाल सिंह-तो अपनी बात पर आते हैं झण्ड के इतिहास पर प्रकाश डाल रहा था।आखिर झण्ड,झण्ड क्यों हुई।वैसे वर्तमान में तुम मेरी झण्ड उड़ा रही हो।ख़ैर छोड़ो तुम जो मेरी झण्ड उड़ा रही हो वह मेरे लिए गुलाब हैं।उन झण्ड रूपी गुलाबों को सूँघ लेता हूँ। तो फिर झण्ड उड़ जाती हैं।इतनी खतरनाक है यह झण्ड कि झण्ड उड़ गई, पता नहीं झण्ड कब उड़ गई।और झण्ड उड़ गई। जाने कैसी झण्ड है।झण्ड की झण्ड उड़ा रही है। झण्ड के इतिहास पर चर्चा करते हैं। तभी झण्ड की वास्तविक व्याख्या हो सकेगी।…………………?(शेष कल झण्ड उड़ाते हुए??)
©अभिषेक पाराशर

Language: Hindi
260 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी तेरी महिमा न्यारी। लेखक राठौड़ श्रावण उटनुर आदिलाबाद
नारी तेरी महिमा न्यारी। लेखक राठौड़ श्रावण उटनुर आदिलाबाद
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
पिता
पिता
Dr Parveen Thakur
*** शुक्रगुजार हूँ ***
*** शुक्रगुजार हूँ ***
Chunnu Lal Gupta
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
Arvind trivedi
जिस मुश्किल का यार कोई हल नहीं है
जिस मुश्किल का यार कोई हल नहीं है
कवि दीपक बवेजा
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
वफा करो हमसे,
वफा करो हमसे,
Dr. Man Mohan Krishna
Jay prakash dewangan
Jay prakash dewangan
Jay Dewangan
मातु भवानी
मातु भवानी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
#drarunkumarshastri♥️❤️
#drarunkumarshastri♥️❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
सौ बरस की जिंदगी.....
सौ बरस की जिंदगी.....
Harminder Kaur
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
Sonu sugandh
अलविदा दिसम्बर
अलविदा दिसम्बर
Dr Archana Gupta
अपना घर
अपना घर
ओंकार मिश्र
*अग्रसेन ने ध्वजा मनुज, आदर्शों की फहराई (मुक्तक)*
*अग्रसेन ने ध्वजा मनुज, आदर्शों की फहराई (मुक्तक)*
Ravi Prakash
पिता एक सूरज
पिता एक सूरज
डॉ. शिव लहरी
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं - संदीप ठाकुर
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
हादसे
हादसे
Shyam Sundar Subramanian
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
gurudeenverma198
सुन सको तो सुन लो
सुन सको तो सुन लो
Shekhar Chandra Mitra
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी का
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी का
Rambali Mishra
थोड़ा थोड़ा
थोड़ा थोड़ा
Satish Srijan
23/60.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/60.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"राखी के धागे"
Ekta chitrangini
"कभी-कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
सोच के दायरे
सोच के दायरे
Dr fauzia Naseem shad
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
कवि रमेशराज
*फितरत*
*फितरत*
Dushyant Kumar
मुझको चाहिए एक वही
मुझको चाहिए एक वही
Keshav kishor Kumar
Loading...