Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2021 · 1 min read

प्रेम का स्पर्श

हमारे प्रेम की इस लीला में ,
तुम किसी पेड़ की शाखाओं से लिपटी हुई लता सी हो।
जो अपनी भुजाओं में मुझमें लिपटती चली जाती हो
अंत सिरे तक। जहां मेरी भुआओ का अंत तुम्हारे
खिले फूल पत्तो से सुशोभित रहता है।
और मैं स्थिर बिना किसी विरोध के तुम्हारे
प्रेम के छुअन का एहसास लेते रहता हूँ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन उसको ही पूजता, उसको ही नित ध्याय।
मन उसको ही पूजता, उसको ही नित ध्याय।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
लक्ष्मी सिंह
पुलवामा वीरों को नमन
पुलवामा वीरों को नमन
Satish Srijan
मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
VINOD CHAUHAN
विश्व कप-2023 फाइनल सुर्खियां
विश्व कप-2023 फाइनल सुर्खियां
दुष्यन्त 'बाबा'
स्वयं से सवाल
स्वयं से सवाल
Rajesh
आज की प्रस्तुति - भाग #2
आज की प्रस्तुति - भाग #2
Rajeev Dutta
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
मेरी माँ
मेरी माँ
Pooja Singh
*🌹जिसने दी है जिंदगी उसका*
*🌹जिसने दी है जिंदगी उसका*
Manoj Kushwaha PS
It is not necessary to be beautiful for beauty,
It is not necessary to be beautiful for beauty,
Sakshi Tripathi
तितली संग बंधा मन का डोर
तितली संग बंधा मन का डोर
goutam shaw
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
एक तरफा दोस्ती की कीमत
एक तरफा दोस्ती की कीमत
SHAMA PARVEEN
■ लोक संस्कृति का पर्व : गणगौर
■ लोक संस्कृति का पर्व : गणगौर
*Author प्रणय प्रभात*
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
कवि रमेशराज
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
Shyam Sundar Subramanian
💐अज्ञात के प्रति-60💐
💐अज्ञात के प्रति-60💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आया सखी बसंत...!
आया सखी बसंत...!
Neelam Sharma
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
Kumar lalit
कितनी यादों को
कितनी यादों को
Dr fauzia Naseem shad
Rebel
Rebel
Shekhar Chandra Mitra
खुशनसीबी
खुशनसीबी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आखिर क्यूं?
आखिर क्यूं?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"मुझे हक सही से जताना नहीं आता
पूर्वार्थ
"गाँव की सड़क"
Radhakishan R. Mundhra
"जीवन की परिभाषा"
Dr. Kishan tandon kranti
3004.*पूर्णिका*
3004.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...