प्रीत
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प्रीत जग की रीत
प्रीत ही संसार है,
प्रीत बीना स्वर्ग भी
लगता शमशान है।
प्रीत जीवन राग
प्रीत भक्त की प्यास,
प्रीत बसे अनुराग
प्रीत मोक्ष का धाम,
प्रीत सुरसरि गंग
प्रीत गंग की धार है,
प्रीत बीना स्वर्ग भी
लगता शमशान है।
प्रीत ईश्वर की भक्ति
प्रीत भक्त की शक्ति,
प्रीत ईश वरदान
प्रीत में बंधा जहांन,
प्रीत ईश अनुरक्ति
प्रीत भक्ति आधार है,
प्रीत बीना स्वर्ग भी
लगता शमशान है।
प्रीत काशी रामेश्वर
प्रीत बसे परमेश्वर,
प्रीत मानवी मानवता
प्रीत हते दानवता,
प्रीत ही जीवन सार
प्रीत मोह उद्धार है,
प्रीत बीना स्वर्ग भी
लगता शमशान है।
प्रीत बसै चहु धाम
प्रीत ही राधे श्याम,
प्रीत अमर उपहार
प्रीत डगर संसार,
प्रीत से भवसागर पार
प्रीत ही पतवार है,
प्रीत बीना स्वर्ग भी
लगता शमशान है।
प्रीत पारश पशुपति
प्रीत राम सीता पति,
प्रीत वासी कैलाशी
प्रीत साधु संन्यासी,
प्रीत भक्त प्रह्लाद
प्रीत बसै हनुमान है
प्रीत बीना स्वर्ग भी
लगता शमशान है।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
३/३/२०१८