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7 Jun 2021 · 1 min read

प्रीत बरसात बाकी है

प्रीत बरसात बाकी है
प्रीत बरसात बाकी है
प्रीत मनुहार बाकी है
विरह की धुन्ध छायी
प्रिय की पुकार बाकी है

दहका दहका अंग है
बहका बहका मन है
यौवन की बदरी छाई
प्रीत अलंकार बाकी है

अम्बर आकुल दिखता
रह रह कर गरजता
शून्य शोरगुल करता
प्रीत प्रकार बाकी है

घनन घनन घन घोर
बूँदें गिरती है घन से
मन बीथी शीत नीर से
प्रिय संसार बाकी है

Language: Hindi
78 Likes · 347 Views
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