मोहब्बत की मज़बूरियाँ
पास रहके भी,कितनी दूरियाँँ हैं।
ये कैसी सनम,मज़बूरियाँ हैं।।
हम दीदार में,दीवाने हुए प्यार में।
चुन लिया चाँद,सितारों के हार में।
चाँदनी मिली है,चाँद से दूरियाँ हैं।
ये कैसी सनम,मज़बूरियाँ हैं।
हम दीदार से,दीवाने हुए प्यार में।
चुन लिया फूल,काँटों के संसार में।
ख़ूशबू मिली है,फूल से दूरियाँ हैं।
ये कैसी सनम,मज़बूरियाँ हैं।
**************************
राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
**************************