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17 Dec 2020 · 1 min read

प्रिय जीवनसाथी

प्रिय जीवनसाथी

किसी और के आंगन की पौधा
मेरे घर की छाया बन जाती है ।
दो दिल एक जान बनकर
जीवन भर साथ निभाती है ।।

छोड़कर अपने सारी यादें
एक नई जिंदगी बसाती है ।
छोड़ के सपने बचपन की
एक नई कहानी बनाती है ।।

एक चुटकी सिंदूर के बदले
जीवनभर लाज बचाती है ।
जीवनसाथी होने का रिश्ता
परिवार के साथ निभाती है ।।

भाभी चाची बहूरानी से
मम्मी एक दिन बन जाती है ।
कुछ साल में वक्त बदलते ही
सासू मां बन जाती है ।।

तुलसी का पौधा आंगन में
परिवार को दिल में बसाती है ।
ज्ञान शील के सागर से अपने
बच्चों को शिक्षित बनाती है ।।

किसी और के आंगन की पौधा
मेरे घर की छाया बन जाती है ।
दो दिल एक जान बनकर
जीवन भर साथ निभाती है ।।

युवा कवि / लेखक
( गोविन्द मौर्या – प्रेम जी )
सिद्धार्थ नगर , उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Comment · 357 Views
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