Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2019 · 1 min read

प्रियतमा

प्रियतमा प्रियतमा कहाँ तुम चले गए
लगा के दिल में आग कहाँ सरक गए

मालूम नहीं हमें क्या खता हमारी थी
हमको यूँ छोड़ने की क्यों जिद तुम्हारी थी
कशमकश में हम सनम तुमको तरस गए
लगा के दिल में आग कहाँ सरक गए

हद थी जानेमन इम्तिहान ए मोहब्बत की
हमें भी जिद्द थी कशिश पाने मोहब्बत की
फांसले जो दरमियाँ थे बढाके खिसक गए
लगा के दिल में आग कहाँ सरक गए

कसमें जो खाई थी जन्मो जन्मो वफाई की
बदले में देकर चले गए हमें शाम़ें तन्हाई की
दिल पर दुखों का अंबार ढाहकर परत गए
लगा के दिल में आग कहाँ सरक गए

प्यार जो भाव वियोगी बेदर्दी होता हैं
प्यार जो भाव सिंयोगी हमदर्दी होता है
दिल के अरमान तोड़ कर निकल गए
लगा के दिल में आग कहाँ सरक गए

प्रियतमा प्रियतमा तुम कहाँ चले गए
लगा के दिल में आग कहाँ सरक गए

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
2 Likes · 217 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
क्या प्यार है तुमको हमसे
क्या प्यार है तुमको हमसे
gurudeenverma198
नए साल की नई सुबह पर,
नए साल की नई सुबह पर,
Anamika Singh
वो नए सफर, वो अनजान मुलाकात- इंटरनेट लव
वो नए सफर, वो अनजान मुलाकात- इंटरनेट लव
कुमार
* संसार में *
* संसार में *
surenderpal vaidya
कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
The_dk_poetry
अर्ज किया है जनाब
अर्ज किया है जनाब
शेखर सिंह
दूर देदो पास मत दो
दूर देदो पास मत दो
Ajad Mandori
नन्हीं - सी प्यारी गौरैया।
नन्हीं - सी प्यारी गौरैया।
Anil Mishra Prahari
2765. *पूर्णिका*
2765. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
Sukoon
*हिंदी दिवस*
*हिंदी दिवस*
Atul Mishra
व्यथा
व्यथा
Kavita Chouhan
रचना प्रेमी, रचनाकार
रचना प्रेमी, रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
इंसान हूं मैं आखिर ...
इंसान हूं मैं आखिर ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
धाराओं में वक़्त की, वक़्त भी बहता जाएगा।
धाराओं में वक़्त की, वक़्त भी बहता जाएगा।
Manisha Manjari
हम तो किरदार की
हम तो किरदार की
Dr fauzia Naseem shad
बेटी और प्रकृति, ईश्वर की अद्भुत कलाकृति।
बेटी और प्रकृति, ईश्वर की अद्भुत कलाकृति।
लक्ष्मी सिंह
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
Basant Bhagawan Roy
दुनिया  की बातों में न उलझा  कीजिए,
दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
करन ''केसरा''
आज फिर उनकी याद आई है,
आज फिर उनकी याद आई है,
Yogini kajol Pathak
पिता
पिता
Swami Ganganiya
मेरी औकात
मेरी औकात
साहित्य गौरव
मेरे बस्ती के दीवारों पर
मेरे बस्ती के दीवारों पर
'अशांत' शेखर
शाम
शाम
Kanchan Khanna
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
Phool gufran
गणपति अभिनंदन
गणपति अभिनंदन
Shyam Sundar Subramanian
लिख सकता हूँ ।।
लिख सकता हूँ ।।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
ये दुनिया है कि इससे, सत्य सुना जाता नहीं है
ये दुनिया है कि इससे, सत्य सुना जाता नहीं है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
Shweta Soni
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में.
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में.
कवि दीपक बवेजा
Loading...