Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2020 · 3 min read

प्रायश्चित

90 साल की उर्मिला सबकी आँखों को खटक रही थी।वैसे भी उसके बहू ममता से सम्बंध कभी भी अच्छे नहीं रहे थे। हमेशा छत्तीस का आंकड़ा ही रहा। लेकिन अब उर्मिला शक्ति हीन हो गई थी और दूसरों की मोहताज भी ।जैसे तैसे ज़िन्दगी कट ही रही थी पर इस लोकडाउन ने सब कुछ धराशायी कर दिया। कामवालियां भी आनी बन्द हो गईं थीं।काम बेहद बढ़ गया था। इसलिये उर्मिला सबको और खटक रही थी।अब उसके काम बच्चों को करने पड़ रहे थे वो भी तरह तरह के मुंह बनाते। ममता की तो जान ही आफत में आ गई थी। मोदी जी टीवी पर सबसे कह रहे थे घर के बुजुर्गों का ध्यान रखें …उन्हें घर से न निकलने दें…सुनकरबड़बड़ाई …’अच्छा है न कोरोना हो जाये क्वारनटीन में ले जाये सरकार…छुट्टी मिले…पता नहीं कितना लंबा जियेगी। मेरी पूरी जान ही लेकर जाएगी ।
कड़वाहट बहुत बढ़ चुकी थी।ममता खाना नाश्ता देती लेकिन पटक पटककर। उर्मिला भी खा तो लेती लेकिन अपराधबोध के साथ। शरीर काम के लिये साथ ही नहीं देता था। उर्मिला पुरानी बातें सोचती रहती थी। उसे अब अपने किये पर भी अफसोस होता था। उसे लगता था कुछ बातों को बढ़ने से रोका जा सकता था। गलतियों पर लड़ने के बजाय अगर माफ कर दी जाए तो दिलों में दरार पड़ने से रोका जा सकता है। इसी चिंतन मनन में उर्मिला लगी रहती। पिछली बातों को सोचकर दुखी होती रहती।
शाम के छह बजे थे। उर्मिला का दिल बहुत घबरा रहा था । उसने ममता को आवाज लगाई। ममता बड़बड़ाती हुई आई। बोली,’ क्या है? चैन नहीं है आपको…अब तो सोच लो कुछ मेरे बारे में…रातदिन काम करते2 थक जाती हूँ…पर आपको तो कमी ही निकालनी है…’ । उर्मिला की आंखें भीग गईं। ममता और चिढ़ गई। ‘हां हां …अब रो रो कर और दिखाओ सबको…कितना दुख देती हूं आपको मैं…’.। उर्मिला ने ममता का हाथ पकड़कर अपने पास बैठा लिया। दूसरा हाथ सर पर फेरकर बोली,’ मुझे माफ़ कर दे बेटी…. सच में मैं तुझे कभी भी बेटी नहीं बना पाई ..पर तुझसे चाहा यही तू मुझे माँ माने। काश मैंने ही अपना बड़प्पन दिखा दिया होता तेरी नासमझियों को नज़र अंदाज़ कर दिया होता ….उनका बतंगड़ न बनाया होता… लेकिन मैं भी बराबरी ही करती रही। मुझसे भी बहुत गलतियां हुई है। क्या मुझे माफ़ नहीं करेगी ? मुझे मेरा अपराध बोध चैन नहीं लेने दे रहा है।’ उर्मिला फूट फूट कर रोती जा रही थी और ममता को प्यार करती जा रही थी।
ये सब देखकर ममता की आंखे भी भर आईं। उसे भी अपनी गलतियों का अहसास होने लगा। अगर वो भी कभी चुप रह जाती तो बातें नहीं बढ़ती और न ही दिल मे दरारें। दोनों ही रो रही थीं और बरसों का दिल मे जमा मैल बहता जा रहा था। ममता ने भी पैर छूकर अपनी गलतियों की माफी मांगी। उर्मिला ने उसे गले से लगा लिया। अचानक उर्मिला को हिचकियाँ आने लगी। ममता पानी लेने भागी। लौट कर आई तो देखा मां चैन से मुस्कुराती हुई सो रही थी। उसने उन्हें हिलाया पर फिर वो कभी नहीं उठीं। ममता जोर जोर से रोने लगी ‘ये क्या किया माँ…मुझे भी प्रायश्चित का एक मौका तो दिया होता……..

07-04-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
6 Likes · 2 Comments · 249 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आपकी यादें
आपकी यादें
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
পৃথিবী
পৃথিবী
Otteri Selvakumar
Dr arun kumar shastri
Dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
Shweta Soni
3103.*पूर्णिका*
3103.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
sushil sarna
*शादी को जब हो गए, पूरे वर्ष पचास*(हास्य कुंडलिया )
*शादी को जब हो गए, पूरे वर्ष पचास*(हास्य कुंडलिया )
Ravi Prakash
अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
Neelam Sharma
#सामयिक_ग़ज़ल
#सामयिक_ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
दरकती है उम्मीदें
दरकती है उम्मीदें
Surinder blackpen
बरसात
बरसात
Bodhisatva kastooriya
नेता के बोल
नेता के बोल
Aman Sinha
पूर्णिमा की चाँदनी.....
पूर्णिमा की चाँदनी.....
Awadhesh Kumar Singh
द्वितीय ब्रह्मचारिणी
द्वितीय ब्रह्मचारिणी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
देश-प्रेम
देश-प्रेम
कवि अनिल कुमार पँचोली
हर क्षण का
हर क्षण का
Dr fauzia Naseem shad
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
surenderpal vaidya
गलत चुनाव से
गलत चुनाव से
Dr Manju Saini
"विजेता"
Dr. Kishan tandon kranti
बुद्ध के बदले युद्ध
बुद्ध के बदले युद्ध
Shekhar Chandra Mitra
भूख दौलत की जिसे,  रब उससे
भूख दौलत की जिसे, रब उससे
Anis Shah
नफरत थी तुम्हें हमसे
नफरत थी तुम्हें हमसे
Swami Ganganiya
आशिकी
आशिकी
साहिल
अकेलापन
अकेलापन
Neeraj Agarwal
Loading...