Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2020 · 3 min read

प्रसंग वश-वचन-प्रण-या हठ!

युगों युगों से चली आ रही है यह प्रथा!कभी वचन,कहीं प्रण की कथा!आज हम उसको हठ कहते हैं,कुछ लोग इसे जीद भी कहते हैं!
पर है यह एक प्रकार की हठ धर्मिता !
महाराज दशरथ ने कब सोचा था,उनका वचन बनेगा हठ,
कैकई ने कहाँ विचारा,उसको पाने को भी करना पड़ेगा हठ!
राम चंद्र जी भी तो नही जाने,उनके आग्यां पालन से जुड़ेगा हठ
सीता मैया कहां जानती थी,उन्हें कितना कष्ट देगा हठ!
लक्ष्मण भैया को क्या पता था,प्राणों तक पहुँच जायेगा हठ!
भरत जी ने भी नहीं जाना,नही काम आएगा उनका हठ!
रिपुदमन को भी नहीं पता था,उन्हें ही निभाना पड़ेगाऔरौ का हठ! उर्मिला को पति के अनुपालन की हठ!
श्रुतिकृति को महल में रह कर भी पति से विराग की हठ! मांडवी को पति के वैराग्य का हठ!
माताओं को पुत्रों के वियोग की हठ!इन हठों के परिणाम भी आए!दशरथ जी ने प्राण गवांए,कैकई ने प्रतिष्ठा गवांई!
राम चंद्र ने राज को त्याग दिया ,सीता जी ने पति का साथ किया
उन्हें पति से ही वियोग झेलना पड़ा,रावण के छल में पड़ना पड़ा
राज महल से विरक्त क्या हुई, रावण का अत्याचार भी सहना पड़ा!
लक्ष्मण जी को तो जान पर बन आई,मेघनाथ से शक्ति है खाई!
राम ही कहाँ बच पाए हैं,ब्याकुल होकर अकूलाए हैं!
उर्मिला के साथ-साथ मां सुमित्रा-कौशल्या को कैसे मुँह दिखाएँ!
यह पीड़ा सब कुछ वचन के पालन में सामने थी आयी!

यह क्रम फिर से दोहराया गया, और इसके परिणाम में महाभारत रचाया गया!अब देवव्रत थे सामने आए!
पिता शांतनु को जब उहापोह में थे पाए,पिता के ब्यामोह में वह आए!
शांतनु थे सत्यवती के प्रेम में आतुर,सत्यवती के पिता की थी एक शर्त!वह तभी विवाह करेंगे,जब सत्यवती के पुत्र राज करेंगे!
शर्त थी,यह बहुत बडी,देवव्रत को पता चली,उसने प्रण किया भीषण!
अविवाहित रहेगा वह जीवन प्रयंत, गद्दी पर बैठेंगे सत्यवती के अशं! सत्यवती के दो पुत्र हुए,अब तक शांतनु स्वर्ग सिधार गए!
पुुत्रों के विवाह किए गए,किन्तु पुत्र -पुत्र पैदा किए बिना ही मर गए!
अब सवाल था कौन राज करे,देवव्रत तो अब भीष्म बन गए !
उन्हें राज-पाट नही चलाना है,तो यह दायित्व किसे निभाना है!
सत्यवती को अब याद आया,उन्होंने एक और पुत्र था पाया!
ऋषि पाराशर के संयोग थे जन्मे , वेद व्यास मुनि कहलाए !सत्यवती ने उन्हें बुलाया, वेद व्यास जी तब वहां आएं!
उन्हें अपना प्रयोजन बताया,फिर अपना वशं आगे बढाया!
पौत्र तो पाए थे,उन्होंने तीन, पर उनमें दोष थे विलीन!
बड़ा पुत्र,दृष्टि हीन,दूसरा पुत्र रोग से मलिन,दासी पुत्र हुए परिपूर्ण!
किसे सत्ता में बिठाएं, इसमें ही थे सभी उलझाए!
सोच विचार कर पांडू को गद्दी पर बिठाया,!
धृतराष्ट को यह नही सुहाया! विधाता को कुछ और मंजूर था! पांडू स्वर्ग सिधार गए! अब समस्या फिर सामने उभर आई!
पुनः इस पर विचार किया,! धृतराष्ट को महाराज बनाया !
युद्धिश्ठर को युवराज बनाया,दुर्योधन को यह नहीं भाया!
अब सत्ता का संघर्ष सामने आया,सत्ता विभाजन का प्रस्ताव दुर्योधन को न सुहाया!!यह विचार भी जब काम न आया!
युद्ध अब अनिवार्य हुआ!,भाई-भाईयों मेंं रण हुआ!
एक ओर महारथियों का था बल,!एक ओर श्री कृष्ण का कौशल!
महाभारत घट गया, कौरव पक्ष धराशायी हुआ!
हठ ने कितना है नुकसान किया,! इंसान फिर भी नहीं है सुधरा!आज भी राज भोगने को प्रपंच कर रहा!
राज-पाट कैसे भी मिले,चाहे जाएँ लोग छले!
जन सेवा तो सिर्फ नाम है,राज-हठ का काम है!
राज हठ को रहते ब्याकुल,राज पाट में ही मसगूल!

Language: Hindi
2 Comments · 203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
"कलम का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
सावन बरसता है उधर....
सावन बरसता है उधर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
अटल-अवलोकन
अटल-अवलोकन
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
कोशी के वटवृक्ष
कोशी के वटवृक्ष
Shashi Dhar Kumar
Dr अरूण कुमार शास्त्री
Dr अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
'अशांत' शेखर
आज का महाभारत 1
आज का महाभारत 1
Dr. Pradeep Kumar Sharma
व्यवहार अपना
व्यवहार अपना
Ranjeet kumar patre
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
खुद से भी सवाल कीजिए
खुद से भी सवाल कीजिए
Mahetaru madhukar
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
शुभ संकेत जग ज़हान भारती🙏
शुभ संकेत जग ज़हान भारती🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
फितरती फलसफा
फितरती फलसफा
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
ਲਿਖ ਲਿਖ ਕੇ ਮੇਰਾ ਨਾਮ
ਲਿਖ ਲਿਖ ਕੇ ਮੇਰਾ ਨਾਮ
Surinder blackpen
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
विद्यादायिनी माँ
विद्यादायिनी माँ
Mamta Rani
मनुष्य
मनुष्य
Sanjay ' शून्य'
आस
आस
Shyam Sundar Subramanian
मेरी माटी मेरा देश
मेरी माटी मेरा देश
Dr Archana Gupta
धार में सम्माहित हूं
धार में सम्माहित हूं
AMRESH KUMAR VERMA
कहने को सभी कहते_
कहने को सभी कहते_
Rajesh vyas
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
Shweta Soni
पसंद प्यार
पसंद प्यार
Otteri Selvakumar
सामाजिक कविता: पाना क्या?
सामाजिक कविता: पाना क्या?
Rajesh Kumar Arjun
😊 लघुकथा :--
😊 लघुकथा :--
*Author प्रणय प्रभात*
देवों की भूमि उत्तराखण्ड
देवों की भूमि उत्तराखण्ड
Ritu Asooja
💐प्रेम कौतुक-223💐
💐प्रेम कौतुक-223💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
gurudeenverma198
Loading...